क्या है स्लीप डिवोर्स ट्रेंड? जानें क्यों अलग-अलग बेड पर सो रहे हैं कपल्स?
Sleep divorce trend: आजकल कई शादीशुदा जोड़े स्लीप डिवोर्स ट्रेंड को अपना रहे हैं. इसके तहत वो अलग अलग बेड पर सोने की आदत अपना रहे हैं. लेकिन क्या ये ट्रेंड रिश्ते को फायदा पहुंचाता है या नुकसान? आइए जानते हैं इसके फायदे और नुकसान.

Sleep divorce trend: क्या आप और आपके जीवनसाथी की नींद की आदतें एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं? कोई खर्राटे लेता है, कोई करवट बदलते ही जाग जाता है, किसी को ठंड लगती है तो कोई पंखा तेज रखता है. अगर हां, तो आप अकेले नहीं हैं. आजकल कई कपल्स इसी वजह से स्लीप डिवोर्स ट्रेंड को अपना रहे हैं. यानी एक ही घर में रहते हुए, प्यार बरकरार रखते हुए, लेकिन रात को अलग-अलग बेड पर सोना.
यह ट्रेंड सुनने में भले ही चौंकाने वाला लगे, लेकिन नींद से जुड़ी समस्याओं और रिश्तों में बेहतर संतुलन बनाए रखने के लिए यह तरीका तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. सवाल यह है कि क्या अलग-अलग सोना रिश्ते को मजबूत बनाता है या दूरियां बढ़ाता है? आइए जानते हैं स्लीप डिवोर्स के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से.
बेहतर नींद की गुणवत्ता
जब व्यक्ति को अपनी पसंद का कमरा, रोशनी, तापमान और नींद का समय मिलता है, तो उसकी नींद में किसी तरह की बाधा नहीं आती. इससे नींद गहरी और आरामदायक होती है, जो दिनभर की कार्यक्षमता को बढ़ाती है और मानसिक स्थिति को स्थिर रखती है.
स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव
पूरी नींद लेने से सिरदर्द, चिड़चिड़ापन और थकावट जैसी समस्याएं दूर होती हैं. इससे मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है और व्यक्ति अधिक ऊर्जावान महसूस करता है. "नींद पूरी होने से मूड अच्छा रहता है और काम पर फोकस बना रहता है," विशेषज्ञों का मानना है.
झगड़ों में कमी
अलग-अलग सोने से दोनों पार्टनर की नींद में खलल नहीं पड़ती, जिससे उनका मूड संतुलित रहता है. इससे छोटी-छोटी बातों पर होने वाले झगड़े कम होते हैं और रिश्ते में मधुरता बनी रहती है.
पर्सनल स्पेस और 'मी टाइम'
अलग सोने से हर किसी को अपनी व्यक्तिगत जगह मिलती है. यह 'मी टाइम' तनाव कम करता है और आत्म-विश्लेषण में मदद करता है, जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है और दिन की शुरुआत सकारात्मक होती है.
स्लीप डिवोर्स के नुकसान
स्लीप डिवोर्स के फायदों के साथ इसके कुछ नुकसान भी हैं...
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इमोशनल दूरी का खतरा: हर रात साथ न सोने से कपल्स के बीच भावनात्मक जुड़ाव कम हो सकता है. इससे रिश्ते में धीरे-धीरे ठंडापन आ सकता है और भावनात्मक अंतर बढ़ने का खतरा रहता है.
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फिजिकल इंटिमेसी में कमी: रात को साथ रहना अपने आप में एक इंटिमेसी का एहसास देता है, जो अलग सोने से गायब हो सकता है. इससे प्यार में कमी और कनेक्शन में दूरी आ सकती है.
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गलतफहमियों की आशंका: अगर दोनों पार्टनर इस फैसले को समान रूप से न लें या इसे ठीक से समझ न पाएं, तो यह गलतफहमियों और तनाव का कारण बन सकता है. इससे रिश्ते में खटास आने की संभावना भी बनी रहती है.
क्या करें कपल्स?
अगर आप या आपका पार्टनर स्लीप डिवोर्स का विचार कर रहे हैं, तो सबसे पहले इस पर खुलकर संवाद करें. यह फैसला सही कम्युनिकेशन और समझदारी से रिश्ते को कमजोर करने की बजाय और मजबूत बना सकता है. प्यार की नींव भरोसे और समझ पर टिकी होती है, न कि एक ही बिस्तर पर सोने से.
Disclaimer: ये आर्टिकल मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.


