Skin Care: अगर आपके चेहरे पर किसी तरह का रंग परिवर्तन हो रहा है तो ये एक गंभीर बीमारी होने का संकेत है. ये ‘विटिलिगो’ बीमारी हो सकती है. आपने बहुत से लोगों को देखा होगा, जिनकी त्वचा धीरे-धीरे सफेद होने लगती है. इसे चिकित्सा की भाषा में ‘विटिलिगो’ कहा जाता है. वैसे तो ये समस्या व्यक्ति की सेहत पर कोई बुरा असर नहीं डालती, लेकिन इसे स्वीकार करना मुश्किल हो जाता है.
ये बीमारी चेहरे के रंग को सफेद कर देती है. जिससे ये मानसिक और भावनात्मक रूप से काफी हद तक परेशान करती है. इसका समय रहते इलाज न कराने से फैलने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. ये बीमारी धीरे-धीरे शरीर में फैल जाती है. ऐसे में विटिलिगो क्यों होती है और इसके फैलने पर क्या करना चाहिए, इन सवालों के जवाब आपको बताते हैं.
शरीर पर होने वाले सफेद दाग को चिकित्सा की भाषा में विटिलिगो कहा जाता है. विटिलिगो एक ऐसा बीमारी है, जिसमें त्वचा का रंग हल्का यानी सफेद पड़ने लगता है. ये कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली की वजह से रंग उत्पादन करने वाली कोशिकाएं को खत्म कर देता हैं. ऑटो इम्यून डिजीज जैसे कि थायरॉयड रोग या टाइप 1 डायबिटीज के कारण भी त्वचा के रंग में बदलाव देखा जाता है.
विटिलिगो बीमारी की शुरुआत काफी आम होती है. शरीर में सबसे पहले ये खुजली से शुरू होता है, इसके बाद शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर सफेद रंग के छोटे या बड़े दाग दिखने लगते हैं. आमतौर पर ये दाग मरीज को किसी भी तरह से तकलीफ नहीं पहुंचाते, लेकिन कई बार इनकी वजह से दूसरे लोग इस बीमारी से पीड़ित मरीजों से डरने लगते हैं. त्वचा का रंग फीका पड़ना विटिलिगो का मुख्य लक्षण है. इसके अलावा ढेर सारे मामलों में मुंह के अंदर के टिशू का रंग बदलना, गर्दन पर सफेद दाग, पीठ पर सफेद दाग और आंखों के रेटिना की अंदर की परत का रंग फीका पड़ना भी इसके लक्षण हो सकते हैं.
त्वचा में सफेद दाग बनने के कई कारण हैं. विशेषज्ञ के अनुसार बताया गया है कि त्वचा में सफेद दाग तब बनते हैं, जब किसी व्यक्ति के शरीर में रंग उत्पादन करने वाली कोशिकाएं यानी मेलानोसाइट्स अपना काम करना बंद कर देती हैं. ये कोशिकाएं हमारे बाल, त्वचा, होंठ आदि को रंग प्रदान करती हैं, जिससे हमारा व्यक्तित्व निखर कर सामने आता है.
First Updated : Thursday, 18 July 2024