क्यों Gen Z के युवाओं को नौकरी पाने में आ रही हैं दिक्कतें?
Generation Z: हाल ही में एक सर्वे ने बताया है कि बड़ी कंपनियां जनरेशन Z के युवाओं को नौकरी देने से हिचक रही हैं. कंपनियों का कहना है कि इन युवाओं में काम करने के तरीके और कम्युनिकेशन स्किल्स की कमी है. सर्वे में शामिल कई रिक्रूटर्स ने बताया कि उन्होंने हाल ही में कॉलेज से पास हुए कई कर्मचारियों को नौकरी से निकाला.
Generation Z: आजकल के युवा, खासकर जनरेशन Z जो 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में पैदा हुए हैं, नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. हाल ही में एक सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि कई प्रमुख कंपनियां इन युवाओं को काम पर रखने से कतराने लगी हैं. लेकिन इसके पीछे क्या वजह है? यह सवाल आज के युवाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
इंटेलिजेंट डॉट कॉम द्वारा किए गए सर्वे में सामने आया है कि 10 में से 6 रिक्रूटर्स ने बताया कि उन्होंने इस साल कई कॉलेज पास युवाओं को नौकरी से निकाल दिया. कंपनियों का कहना है कि इन युवाओं के काम करने के तरीके, कम्युनिकेशन स्किल्स और प्रोफेशनलिज्म में कमी है. इससे यह समझ में आता है कि कंपनियां क्यों इन्हें भर्ती करने में हिचकिचा रही हैं.
कॉलेज से ऑफिस: एक बड़ा बदलाव
ह्यू गुयेन, जो इस सर्वे के मुख्य सलाहकार हैं, उनका कहना है कि नए ग्रैजुएट्स को कार्यस्थल के माहौल में खुद को ढालने में कठिनाई हो रही है. कॉलेज का माहौल और ऑफिस का माहौल बिल्कुल अलग होते हैं. युवाओं को ऑफिस की जिम्मेदारियों और माहौल के प्रति तैयार नहीं किया गया है.
प्रेरणा की कमी: एक बड़ा मुद्दा
दरअसल एक सर्वे में यह भी सामने आया है कि लगभग 75% कंपनियों ने हाल ही में कॉलेज से निकले युवाओं का काम संतोषजनक नहीं पाया. युवाओं में प्रेरणा की कमी देखी गई है और 46% रिक्रूटर्स ने कहा कि उनमें प्रोफेशनलिज्म की कमी है. जिससे यह स्पष्ट है कि युवा नौकरी में केवल काम करने के लिए नहीं, बल्कि अपने करियर को भी आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक नहीं हैं.
शिक्षा प्रणाली का दोष?
विशेषज्ञ इस स्थिति के लिए शिक्षा प्रणाली को भी जिम्मेदार मानते हैं. एचआर सलाहकार ब्रायन ड्रिस्कॉल ने कहा कि आज की शिक्षा व्यवहारिक ज्ञान की बजाय सिद्धांत पर ज्यादा जोर देती है. ग्रीक पौराणिक कथाओं जैसे विषयों का अध्ययन करने से बेहतर है कि युवाओं को कार्यस्थल की वास्तविकताओं से परिचित कराया जाए.
भविष्य की संभावनाएं
यह सर्वेक्षण इस बात का संकेत है कि जनरेशन Z के युवाओं को कार्यस्थल में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए कुछ बदलावों की आवश्यकता है. कंपनियों को भी चाहिए कि वे युवाओं की क्षमताओं पर विश्वास करें और उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन करें. यदि ऐसा होता है, तो भविष्य में ये युवा न केवल अपनी नौकरियों में सफल होंगे बल्कि अपनी पूरी पीढ़ी को नई ऊंचाइयों पर भी ले जा सकते हैं.
जनरेशन Z के युवाओं के लिए नौकरी पाना अब आसान नहीं रह गया है. अगर कंपनियों को इन युवाओं से उम्मीदें हैं, तो उन्हें पहले इनके कौशल और प्रोफेशनलिज्म को विकसित करने में मदद करनी होगी. तभी हम देख पाएंगे कि ये युवा अपने करियर में सफलता हासिल कर सकें.