बचपन की यादें क्यों छुप जाती हैं? जानें इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण!
जन्म के पहले 2-3 साल तक हमारा मस्तिष्क पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, और इस समय मस्तिष्क में लंबी अवधि की यादें बनाने की क्षमता भी कम होती है. इस अवस्था को "हिप्पोकैम्पल नॉन-डिवेलपमेंट" कहा जाता है, जिसमें मस्तिष्क के यादों को संरक्षित करने का हिस्सा पूरी तरह से काम नहीं करता.

बचपन को लेकर एक सामान्य सवाल अक्सर मन में आता है, "हमें अपना बचपन क्यों याद नहीं रहता?" यह एक दिलचस्प और जटिल सवाल है, और इसका उत्तर मस्तिष्क की संरचना और विकास से जुड़ा हुआ है. हमारे दिमाग में बचपन में बने हुए न्यूरल कनेक्शंस के कारण, हम अपने बचपन के अधिकांश घटनाओं को भूल जाते हैं.
जन्म के पहले 2-3 साल तक हमारा मस्तिष्क पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, और इस समय मस्तिष्क में लंबी अवधि की यादें बनाने की क्षमता भी कम होती है. इस अवस्था को "हिप्पोकैम्पल नॉन-डिवेलपमेंट" कहा जाता है, जिसमें मस्तिष्क के यादों को संरक्षित करने का हिस्सा पूरी तरह से काम नहीं करता. इसका परिणाम यह होता है कि हम अपनी प्रारंभिक सालों की घटनाओं को भूल जाते हैं.
बचपन की घटनाओं की कमी
इसके अलावा, बचपन में हम जिस तरह की घटनाओं का सामना करते हैं, वे अक्सर छोटे और सामान्य होती हैं. चूंकि हमारे दिमाग में उस समय कोई महत्वपूर्ण या तीव्र भावना उत्पन्न नहीं होती, इसलिए वे घटनाएँ हमारे दिमाग में लंबे समय तक नहीं रुक पातीं. मस्तिष्क केवल वही यादें संजोता है जो किसी विशेष कारण से महत्वपूर्ण होती हैं या जो हमें गहरे स्तर पर प्रभावित करती हैं. चूंकि बचपन में हम उतने संवेदनशील नहीं होते, इस कारण से वह समय आसानी से धुंधला जाता है.
समय के साथ परिवर्तन
जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारी सोच और समझ भी विकसित होती है. जब हम बचपन को याद करने की कोशिश करते हैं, तो हमारे पास उतने संसाधन या मस्तिष्क की संरचनाएँ नहीं होतीं, जो हमें उन यादों को संरक्षित रखने में मदद करें. इसलिए अधिकांश लोग बचपन की घटनाओं को समय के साथ भुला देते हैं.