आखिर क्यों होते हैं शरीर पर सफेद निशान, क्या हैं इस बीमारी के लक्षण और बचाव?

Vitiligo: विटिलिगो एक क्रॉनिक ऑटोइम्यून विकार है, इसके कारण त्वचा के कुछ हिस्से के रंग या पिगमेंट खो देते हैं. ऐसा तब होता है जब मेलानोसाइट्स त्वचा की कोशिकाएं जो पिगमेंट बनाती हैं उन पर पर हमला किया जाता है और उन्हें समाप्त कर दिया जाता है, जिससे त्वचा का रंग सफ़ेद हो जाता है. विटिलिगो में, सफ़ेद धब्बे आमतौर पर शरीर में सममित रूप से दिखाई देते हैं, जैसे कि दोनों हाथों या दोनों घुटनों पर. कभी-कभी, रंग या रंगद्रव्य का तेज़ी से नुकसान हो सकता है और यहां तक ​​कि एक बड़े क्षेत्र को भी प्रभावित कर सकता है

JBT Desk
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Vitiligo: अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एनआईएच के अनुसार, ये एक आम बीमारी है जिससे दुनिया की 0.5 प्रतिशत से 1.0 प्रतिशत आबादी प्रभावित है.जबकि कई मामले रिपोर्ट नहीं किए जाते हैं और कुछ शोधकर्ताओं का यह अनुमान है कि इनकी स्थिति 1.5 फ़ीसदी आबादी में हो सकती है. इस बीमारी में त्वचा और कुछ मामलों में बालों का पिगमेंटेशन गहरा रंग चला जाता है और ये धीरे-धीरे सफ़ेद हो जाते हैं. यह सावले लोगों में जल्द दिखाई देने लगता है.

विटिलिगो है क्या?

आम धारणा के अलग कोई भी व्यक्ति, चाहे वह पुरुष हो या महिला, चाहे उसकी त्वचा का रंग रंग कैसा भी हो, वह विटिलिगो से पीड़ित हो सकता है. यह एक क्रॉनिक बीमारी है जिसमें त्वचा पर सफ़ेद या पीले धब्बे दिखाई देते हैं, त्वचा के इस भाग में मेलेनिन ख़त्म हो जाता है. मेलेनिन त्वचा के पिगपेंटेशन के लिए जिम्मेदार होता है, जो मेलानोसाइट्स नाम की खास कोशिकाओं से बना होता है.

त्वचा को रंग देने के अलावा मेलानोसाइट्स इसे सूरज की किरणों से बचाते हैं. यह बीमारी त्वचा के किसी भी भाग में हो सकती है,जबकि आमतौर पर उस हिस्से में होती है जो सूरज की किरणों के संपर्क अधिक में रहता है. जैसे- चेहरा, गर्दन और हाथ. यह दो हिस्सों में बांटा जा सकता है, ये इस बात पर निर्भर करता है कि कैसे और शरीर के किस हिस्से में डिपिगमेंटेशन होती है.

सेगमेंटल

यह एकतरफा विटिलिगो भी कहा जाता है. विटिलिगो आमतौर पर कम उम्र में ही दिखाई देता है, जिसमें शरीर के केवल एक हिस्से में सफ़ेद दाग होते हैं. यह पैर, चेहरे एक तरफ़ या शरीर के सिर्फ़ एक तरफ़ हो सकता है. इस तरह के विटिलिगो से पीड़ित व्यक्ति में लगभग आधे लोगों को जहां विटिलिगो हुआ है वहां पर बाल झड़ने की शिकायत होती है.

नॉन-सेगमेंटल 

यह विटिलिगो का सबसे सामान्य प्रकार है जो अधिक लोगों को होता है. इसमें शरीर के किसी भी भाग में सफ़ेद रंग पैच बनने लगते हैं. एक्रोफेशियल: चेहरे, सिर, हाथ और पैर को प्रभावित करता है. म्यूकोसल: चेहरे के पास और जननांग म्यूकोसा को प्रभावित करता है.

यूनिवर्सल

यूनिवर्सल सबसे गंभीर स्थिति है, लेकिन सबसे दुर्लभ भी है. यह त्वचा के 80 से 90 प्रतीशत भाग तक फैल जाता है. विटिलिगो बीमारी से प्रभावित लोगों के लिए काम करने वाली संस्था 'विटिलिगो सोसाइटी' के मुताबिक, दुनिया भर के सात करोड़ लोग विटिलिगो रोग से पीड़ित हैं. वही 20 से 35 फ़ीसदी मरीज़ बच्चे है. यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है केवल एक 'कॉस्मेटिक' समस्या नहीं है. अभी तक यह पता लगाना संभव नहीं हो पाया है कि विटिलिगो का कारण क्या है, लेकिन यह कोई संक्रमण नहीं है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैल सकता. जब की इस बीमारी का कारण पता नहीं है इसलिए यह अनुमान लगाना असंभव है कि एक बार विटिलिगो का पहला धब्बा दिखाई देने पर त्वचा का कितना हिस्सा प्रभावित होगा.

इसके लक्षण क्या हैं

विटिलिगो बिमारी का कोई लक्षण नहीं होता है, अगर दाग को धूप से बचाया नही जाए तो ये धूप में जल सकते हैं. विटिलिगो प्रभावित व्यक्ति के लिए बहुत ज़्यादा मनोवैज्ञानिक तरह से परेशानी का कारण बन सकते हैं, खासकर अगर सफ़ेद दाग चेहरे, गर्दन, हाथ या जननांगों पर हो जाएं. ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट्स की नीना गोएड ने बीबीसी से बात करते हुए बताया कि "विटिलिगो एक ऐसी बीमारी है, जो मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक रूप से बहुत ज्यादा प्रभावित कर सकती है."

जानकार यह मानते हैं कि जब ये डिसऑर्डर शरीर के अधिकांश हिस्सों में फैल जाता है, तो कुछ जातीय समूहों के काले लोग अपनी सांस्कृतिक अपनी पहचान को खोने के डर के कारण और परेशान महसूस कर सकते हैं. अभी तक यह अनुमान लगाना असंभव है कि यह बीमारी कैसे डेवलप होती है, कुछ लोगों को वर्षो तक त्वचा के धब्बों में कोई बदलाव नज़र नहीं आता, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनमे यह धब्बे तेज़ी से फैल जाते हैं.

इसका इलाज क्या है

सामान्य तौर पर स्पेशलिस्ट आमतौर पर इलाज के कॉम्बिनेशन की सलाह देते हैं. जैसे फोटोथेरेपी ,अल्ट्रावॉयलेट लाइट थैरेपी, के साथ दवा और त्वचा पर कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स लगाने की सलाह देते है. जबकि कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स केवल 25 प्रतिशत से कम मरीज़ों में ही प्रभावीत होते हैं और अल्ट्रावॉयलेट लाइट त्वचा के रंग में असामान्य तरह का बदलाव करता है और लंबे समय में ये स्किन कैंसर का ख़तरा पैदा सकता है. अमेरिका और यूरोपीय संघ ने नॉन-सेगमेंटल विटिलिगो के इलाज के लिए ओपज़ेलुरा नाम की एक दवा को मंज़ूरी दी है, जिसका सक्रिय पदार्थ रुक्सोलिटिनिब है.

यह दवा एक मरहम की तरह आती है. और इसे विटिलिगो से प्रभावित हिस्से में लगाया जाता है. वही जर्नल ऑफ डर्मेटोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि काली मिर्च के तीखे स्वाद के लिए जिम्मेदार पिपेरिन पिगमेंटेशन को बढ़ाता है. और इससे त्वचा में मेलानोसाइट्स का उत्पादन तेज़ होता है.

जबकि जो भी चीज मेलानोसाइट्स में वृद्धि का कारण बनती है, उससे मेलेनोमा का खतरा भी बढ़ जाता है, जो त्वचा के कैंसर का सबसे घातक है. इसलिए, यह अभी तक साबित नहीं हुआ है कि क्या पिपेरिन का इस्तेमाल लोगों में विटिलिगो के इलाज के लिए इस ख़तरनाक असर के बिना किया जा सकता है.

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28 June 2024, 09:45 AM IST

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