घर और दफ्तर के प्रेशर में सेल्फ कॉन्फिडेंस खत्म ना हो जाए, इन रूल्स की मदद से जिंदा रखिए अंदर की खुशी

हर कोई औरतों से उम्मीद करता है कि वो दफ्तर के साथ साथ घऱ को भी पूरी तरह संभालें लेकिन इस दोहरी जिम्मेदारी में कहीं महिलाएं अपने साथ नाइंसाफी तो नहीं कर रही। कहीं सुपरवुमैन बनने के चक्कर में आप अपने अंदर की औरत और इंसान को मार तो नहीं रही।

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नए जमामे में औरतें मर्दों के कंधे से कंधा मिलकर चलती है। औरतें दफ्तर भी जा रही हैं और सफलता पूर्वक घर की जिम्मेदारी निभा रही हैं। ऐसे में दोहरा प्रेशर झेलने की वजह से  कई बार महिलाएं एंजाइटी, प्रेशर, आत्मविश्वास की कमी और अपने लिए वक्त की कमी का शिकार हो जाती है। हर कोई औरतों से उम्मीद करता है कि वो दफ्तर के साथ साथ घऱ को भी पूरी तरह संभालें  लेकिन इस दोहरी जिम्मेदारी में कहीं महिलाएं अपने साथ नाइंसाफी तो नहीं कर रही। कहीं सुपरवुमैन बनने के चक्कर में आप अपने अंदर की औरत और इंसान को मार तो नहीं रही। अगर ऐसा हो रहा है तो ये गलत है, इसके लिए टाइम मैनेजमेंट के साथ साथ जरूरी है कि औरतें खुद को पहचाने, अपने लिए वक्त निकालें क्योंकि अगर खुद को वक्त नहीं दे पाईं तो ये सबसे गलत होगा। चलिए जानते हैं वो रूल्स जो कामकाजी औरतों को अपने लिए सबसे पहले बनाने चाहिए ताकि सुपरवुमैन बनने की दौड़ में खुद को खो ना दें। 

नियम नंबर 1 - खुद को लेकर सोच बदलिए
सबसे पहले इस बात को मान लीजिए कि सुपर वुमैन नाम की कोई महिला नहीं होती। ऐसा कुछ बनने के चक्कर में अपने साथ अन्याय मत कीजिए। सबकी इच्छाओं का सम्मान करते करते कहीं अपने साथ तो अन्याय नहीं कर रही। दफ्तर जाती हैं तो घर के कामकाज के लिए हाउस हैल्प रखिए। संडे को बैल की तरह किचन में मत जुटिए। घर के अन्य लोगों को आराम देने के लिए किसी का साथ लीजिए ताकि सारा काम खुद आप अकेली ही ना करें।  संडे को ज्यादा काम करने पर आप मंडे को दफ्तर में सही से काम नहीं कर पाएंगी और संडे की सार्थकता खत्म हो जाएगी।

नियम नंबर 2 - अपने लिए कुछ समय निकालना है जरूरी
खुद के लिए वक्त निकालिए।  अगर रोज जल्दीबाजी में दफ्तर जाती हैं तो अपने लिए वक्त निकालिए ताकि आप अपनी खूबसूरती और फिटनेस को बरकरार रख सकें। महीने में एक दिन पार्लर जाना तो बनता है, रात के वक्त सोने से पहले अपनी  स्किन पर ध्यान दीजिए। सुबह योगा करने से आपकी फिटनेस बरकरार रहेगी और इसके लिए आपको आधा घंटा ही निकालना है। 

नियम नंबर 3 - खाने पीने का रखिए ख्याल
आपको इस बात का भी ध्यान रखना है कि दूसरों की सेहत के साथ साथ आपकी अपनी सेहत भी सही रहे, तभी आप कई मोर्चों को संभाल पाएंगी। अपने नाश्ते को कभी स्किप मत कीजिए। तीस की उम्र के बाद कैल्शियम की गोलियां लेनी पड़ें तो जरूर लीजिए। दोपहर को लंच में अपने भोजन में सलाद, दही और अन्य पौष्टिक चीजों को जरूर शामिल कीजिए। अपने पर्स में ड्राई फ्रूट्स रखिए और सफर के दौरान जरूर खाइए ताकि आपके पोषण में कोई कमी ना हो। 

नियम नंबर 4 - बच्चों को बनाइए आत्मनिर्भर
बच्चे अगर  आपके सहारे हैं तो बुरा नहीं है लेकिन कामकाजी महिलाओं के बच्चों को छोटे मोटे कामकाज आने चाहिए ताकि वो मां की छोटी छोटी ही सही लेकिन मदद कर सकें। खासकर आपकी एबसेंस में वो जरूरी काम कर सकें। वैसे भी आजकल सबको अपने काम खुद करने की ट्रेनिंग देनी ही चाहिए, ताकि कोई अपने कामकाज के लिए दूसरों पर मोहताज ना रहें। 

नियम नंबर 5 - घूमना फिरना जरूरी है
दफ्तर और घर की दौड़ के बीच अपने लिए घूमने फिरने का वक्त जरूर निकालिए। अगर आप पति या परिवार के साथ नहीं जा पा रही तो एक आध बार सहेलियों के साथ ट्रिप बनाइए। सच में आपको बहुत अच्छा लगेगा। शॉपिंग पर निकल जाइए या फिर एक दिन की वीकेंड ट्रिप भी प्लान  करें तो बेहतर होगा। आजकल ओनली वुमेन ट्रिप भी आयोजित होते हैं जिसमें केवल औरतें ट्रिप पर जाकर इन्जॉय करती हैं।
  First Updated : Tuesday, 04 April 2023