World AIDS Day: एड्स एक बेहद खतरनाक समस्या है जिसे आसानी से किसी भी व्यक्ति को नहीं बताया जा सकता है. अक्सर लोग इस बीमारी को लेकर खुलकर बात नहीं कर पाते हैं. 1 दिसंबर को हर साल विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. इसका मकसद बीमारी के खिलाफ दुनिया भर के लोगों को एकजुट करने, एचआईवी से पीड़ित लोगों के साथ समर्थन दिखाने, एड्स से मरने वालों को याद करने और नए संक्रमणों को रोकने के खिलाफ जागरुकता फैलाना है.
इस साल वर्ल्ड एड्स डे की थीम लेट कम्यूनिटीज लीड (Let Communities Lead) है. AIDS से लोगों को जागरूक के लिए इस थीम को चुना गया है. लोग इसके बारे में बात करने से भी कतराते हैं.यह एक ऐसी बीमारी है जिसे हर किसी के सामने खोला नहीं जा सकता है. इसी वजह से इस सोच को बदलने के लिए लेट कम्यूनिटटीज लीड की थीम चुनी गई है.
एड्स की बीमारी का सबसे पहला मामला 1981 में सामने आया था. रिपोर्ट की माने तो इस जानलेवा बीमारी की उत्पति किन्शासा शहर में हुई थी. यह शहर अब डेमोक्रेटिक रिपल्बिक ऑफ कॉन्गो की राजधानी है. किन्शासा बुशमीट का बड़ा बाजार था और बताया जाता है कि वहीं से संक्रमित खून के संपर्क में आने से यह बीमारी इंसानों तक पहुंच गई.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह वायरस हर साल लाखों लोगों को संक्रमित कर रहा है. 2022 के आखिर तक दुनिया में 3.84 करोड़ लोग ऐसे थे जो इस वायरस से संक्रमित थे. 2022 में दुनियाभर में 6.5 लाख लोगों की मौत का कारण HIV ही था. NACO के मुताबिक 2021 में भारत में एड्स के 62,967 नए मामले सामने आए थे और 41,968 लोगों की मौत हो गई थी. यानी हर दिन औसतन 115 मौतें, UNAIDS के आंकड़े बताते हैं कि 2021 तक भारत में 24 लाख लोग HIV संक्रमित थे.
भारत में एड्स की समस्या से पीड़ित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. लेकिन इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए काफी समय लगता है क्योंकि अब भी देश में 15 से 49 वर्ष की उम्र के बीच के लगभग 25 लाख लोग एड्स से प्रभावित हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि यह आंकड़ा विश्व में एड्स प्रभावित लोगों की सूची में तीसरे स्थान पर आता है. First Updated : Friday, 01 December 2023