Zika virus: देश में अब तक कई महामारियों से दस्तक दी है. इनमें कोरोना, चेचक, हैजा, डेंगू आदि शामिल है, जिनका प्रभाव लंबे समय तक देखा गया. वहीं इन महामारियों ने हजारों की संख्या में लोगों को अपनी चपेट में लिया. इस बीच पुणे में जीका वायरस के मरीजों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है. सोमवार को यरवदा की 31 वर्षीय गर्भवती महिला में संक्रमण की पुष्टि हुई है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कुल मामलों में से अब तक छह गर्भवती माताओं में संक्रमण पाया गया है. पुणे नगर निगम (पीएमसी) के अनुसार, गर्भवती महिलाओं में जीका वायरस भ्रूण में माइक्रोसेफली पैदा कर सकता है , खासकर अगर संक्रमण पहली तिमाही में होता है.
एक नगर निगम स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, "इसके मद्देनजर, पीएमसी ने निजी अस्पतालों के साथ एक बैठक भी की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर मामले की सूचना नगर निगम को समय पर दी जाए, ताकि नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी निवारक उपाय शुरू कर सकें." 29 जून को बुखार, लाल चकत्ते और शरीर में दर्द जैसे लक्षण दिखने के बाद गर्भवती महिला एक प्राइवेट अस्पताल की ओपीडी में गई थी. उसके ब्लड के सैंपल फिर से एक प्राइवेट लैब में भेजे गए.
इस बीच, पीएमसी ने भी जीका संक्रमण की पुष्टि के लिए उसके सैंपल एनआईवी [राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान] को भेजे. दोनों परीक्षणों में जीका संक्रमण की उपस्थिति पाई गई. संक्रमण की पुष्टि करने वाली एचआईवी रिपोर्ट शनिवार देर रात प्राप्त हुई। महिला लगभग सात सप्ताह की गर्भवती है.
इस दौरान पीएमसी के सहायक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ राजेश दिघे ने कहा कि शहर में 20 जून को एक डॉक्टर में पहला मामला सामने आने तक एरंडवाने, मुंधवा, दहानुकर कॉलोनी, पाषाण, अम्बेगांव, खराड़ी और यरवदा से जीका के मामले सामने आए हैं. नगर निगम ने सोमवार शाम तक 86 गर्भवती महिलाओं के ब्लड के सैंपल एचआईवी को भेजे हैं. "संक्रमण के उभरने के बाद से, हमने 10,000 से अधिक घरों की जांच की है, जिनमें से 311 में मच्छरों के प्रजनन स्थल पाए गए. अब तक निरीक्षण किए गए 30,000 कंटेनरों में से 437 में मच्छरों का प्रजनन पाया गया है. हमने मच्छरों के प्रजनन स्थलों को पनाह देने वाले 129 लोगों को नोटिस भी जारी किया है और उन पर 1.12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है,"
पुणे नगर निगम (पीएमसी) के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, जीका वायरस का संक्रमण मादा एडीज मच्छर के काटने से फैलता है. इसी मच्छर की इसी प्रजाति को डेंगू और चिकनगुनिया जैसे संक्रमण फैलाने के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है. इस वायरस की सबसे पहले 1947 में युगांडा में पहचान हुई थी.
इस वायरस के लक्षण बेहद ही सामान्य है. इनमें शरीर पर लाल चकत्ते पड़ना, बुखार आना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और सिर में दर्द शामिल है. जीका वायरस से संक्रमित ज्यादातर लोगों में इसके लक्षण नहीं मिलते.
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, जीका वायरस का कोई इलाज नहीं है न ही इसका कोई अभी तक टीका बनाया गया है. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि जीका से संक्रमित होने के बाद सही मात्रा में आराम और लगातार पानी पीते रहना बेहद जरूरी है. अधिक मात्रा में पानी पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है और आराम करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है. इससे संक्रमित होने पर लक्षणों और इलाज के बारे में जागरूकता जरूरी है. First Updated : Tuesday, 09 July 2024