अपनी धुन में रहता हूँ। नासिर काज़मी

अपनी धुन में रहता हूँ, मैं भी तेरे जैसा हूँ, ओ पिछली रुत के साथी, अब के बरस मैं तन्हा हूँ

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अपनी धुन में रहता हूँ, मैं भी तेरे जैसा हूँ

ओ पिछली रुत के साथी, अब के बरस मैं तन्हा हूँ

तेरी गली में सारा दिन, दुख के कंकर चुनता हूँ

मुझ से आँख मिलाये कौन, मैं तेरा आईना हूँ

मेरा दिया जलाये कौन, मैं तेरा ख़ाली कमरा हूँ

तू जीवन की भरी गली, मैं जंगल का रस्ता हूँ

अपनी लहर है अपना रोग, दरिया हूँ और प्यासा हूँ

आती रुत मुझे रोयेगी, जाती रुत का झोंका हूँ First Updated : Sunday, 07 August 2022