फ़रिश्ते से बेहतर है इन्सान बनना | अल्ताफ़ हुसैन हाली
बढ़ाओ न आपस में मिल्लत ज़ियादा, मुबादा कि हो जाए नफ़रत ज़ियादा,
बढ़ाओ न आपस में मिल्लत ज़ियादा
मुबादा कि हो जाए नफ़रत ज़ियादा
तक़ल्लुफ़ अलामत है बेग़ानगी की
न डालो तक़ल्लुफ़ की आदत ज़ियादा
करो दोस्तो पहले आप अपनी इज़्ज़त
जो चाहो करें लोग इज़्ज़त ज़ियादा
निकालो न रख़ने नसब में किसी के
नहीं कोई इससे रज़ालत ज़ियादा
करो इल्म से इक़्तसाबे-शराफ़त
नसाबत से है ये शराफ़त ज़ियादा
फ़राग़त से दुनिया में दम भर न बैठो
अगर चाहते हो फ़राग़त ज़ियादा
जहाँ राम होता है मीठी ज़बाँ से
नहीं लगती कुछ इसमें मेहनत ज़ियादा
मुसीबत का इक इक से अहवाल कहना
मुसीबत से है ये मुसीबत ज़ियादा
फिर औरों की तकते फिरोगे सख़ावत
बढ़ाओ न हद से सख़ावत ज़ियादा
कहीं दोस्त तुमसे न हो जाएँ बदज़न
जताओ न अपनी महब्बत ज़ियादा
जो चाको फ़क़ीरी में इज़्ज़त से रहना
न रक्खो अमीरों से मिल्लत ज़ियादा
है उल्फ़त भी वहशत भी दुनिया से लाज़िम
पै उल्फ़त ज़ियादा न वहशत ज़ियादा
फ़रिश्ते से बेहतर है इन्सान बनना
मगर इसमें पढ़ती है मेहनत ज़ियादा