Kavita: मेरे युवा-आम में नया बौर आया है | गिरिजाकुमार माथुर

Kavita: मेरे युवा-आम में नया बौर आया है। गिरिजाकुमार माथुर

Sagar Dwivedi
Edited By: Sagar Dwivedi

मेरे युवा-आम में नया बौर आया है

ख़ुशबू बहुत है क्योंकि तुमने लगाया है

 

आएगी फूल-हवा अलबेली मानिनी

छाएगी कसी-कसी अँबियों की चाँदनी

चमकीले, मँजे अंग चेहरा हँसता मयंक

खनकदार स्वर में तेज गमक-ताल फागुनी

 

मेरा जिस्म फिर से नया रूप धर आया है

ताज़गी बहुत है क्योंकि तुमने सजाया है।

 

अन्धी थी दुनिया या मिट्टी-भर अन्धकार

उम्र हो गई थी एक लगातार इन्तज़ार जीना

आसान हुआ तुमने जब दिया प्यार

हो गया उजेला-सा रोओं के आर-पार

 

एक दीप ने दूसरे को चमकाया है

रौशनी के लिए दीप तुमने जलाया है

 

कम न हुई, मरती रही केसर हर साँस से

हार गया वक़्त मन की सतरंगी आँच से

कामनाएँ जीतीं जरा-मरण-विनाश से

मिल गया हरेक सत्य प्यार की तलाश से

 

थोड़े ही में मैंने सब कुछ भर पाया है

तुम पर वसन्त क्योंकि वैसा ही छाया है

calender
28 July 2022, 06:05 PM IST

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