Kavita: अब तो ये ख़ुद भी सोचता हूँ मैं। सुरेश कुमार

अब तो ये ख़ुद भी सोचता हूँ मैं, किस तरह तुझको चाहता हूँ मैं

Sagar Dwivedi
Sagar Dwivedi

अब तो ये ख़ुद भी सोचता हूँ मैं

किस तरह तुझको चाहता हूँ मैं

 

दुख की बहती हुई नदी जब भी

तुझको छूती है, डूबता हूँ मैं

 

तू भी शायद ये सोचती होगी

जाने क्या तुझमें देखता हूँ मैं

 

चाँद, दरिया, हवा, धनक, ख़ुशबू

तुझको हर शै में ढूँढता हूँ मैं

 

ख़ुद को ऐसे न ढूँढ पाऐगी

तू इधर आ तेरा पता हूँ मैं

calender
04 August 2022, 07:28 PM IST

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