जाने ये किस की बनाई हुई | 'अमीर' क़ज़लबाश
जाने ये किस की बनाई हुई तस्वीरें हैं, ताज सर पर हैं मगर पाँव में ज़ंजीरें हैं,
जाने ये किस की बनाई हुई तस्वीरें हैं
ताज सर पर हैं मगर पाँव में ज़ंजीरें हैं
क्या मेरी सोच थी क्या सामने आया मेरे
क्या मेरे ख़्वाब थे क्या ख़्वाब की ताबीरें हैं
कितने सर है के जो गर्दन-ज़दनी हैं अब भी
हम के बुज़-दिल है मगर हाथ में शमशीरें हैं
चार जानिब हैं सियह रात के साए लेकिन
उफ़ुक़-ए-दिल पे नई सुब्ह की तनवीरें हैं
उस की आँखों को ख़ुदा यूँ ही सलामत रक्खे
उस की आँखों में मेरे ख़्वाब की ताबीरें हैं