नाम क रंग मंजीठ, लगै छूटै नहिं भाई। धनी धरमदास

नाम क रंग मंजीठ, लगै छूटै नहिं भाई।लचपच रहो समाय, सार तामैं अधिकाई।

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नाम क रंग मंजीठ, लगै छूटै नहिं भाई।

लचपच रहो समाय, सार तामैं अधिकाई।

केती बार धुलाइये, दे दे करडा धोय।

ज्यों-ज्यों भट्ठी पर दिए, त्यों-त्यों उज्ज्वल होय॥ First Updated : Wednesday, 24 August 2022