हम सत्त नाम के बैपारी। धनी धरमदास

हम सत्त नाम के बैपारी। कोइ-कोइ लादै काँसा पीतल, कोइ-कोइ लौंग सुपारी॥ हम तो लाद्यो नाम धनी को, पूरन खेप हमारी॥ पूँजी न टूटै नफा चौगुना, बनिज किया हम भारी॥

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हम सत्त नाम के बैपारी।

कोइ-कोइ लादै काँसा पीतल, कोइ-कोइ लौंग सुपारी॥

हम तो लाद्यो नाम धनी को, पूरन खेप हमारी॥

पूँजी न टूटै नफा चौगुना, बनिज किया हम भारी॥

हाट जगाती रोक न सकिहै, निर्भय गैल हमारी॥

मोती बूँद घटहिं में उपजै, सुकिरत भरत कोठारी॥

नाम पदारथ लाद चला है, 'धरमदास बैपारी॥ First Updated : Wednesday, 24 August 2022