है कौन जिस से कि वादा ख़ता नहीं होता | अशहर हाशमी

कौन जिस से कि वादा ख़ता नहीं होताकिसी का इरादा ख़ता नहीं होताजहाँ बिसात पे घिर जाए शाह नर्ग़े मेंवहाँ कभी भी पियादा ख़ता नहीं होता

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कौन जिस से कि वादा ख़ता नहीं होता

किसी का इरादा ख़ता नहीं होता


जहाँ बिसात पे घिर जाए शाह नर्ग़े में

वहाँ कभी भी पियादा ख़ता नहीं होता


वो दुश्मनों में अगर हो तो बच भी जाऊँ मैं

उसी का वार मबादा ख़ता नहीं होता


जो सर बचे भी तो दस्तार बच नहीं सकती

निशाना उस का ज़ियादा ख़ता नहीं होता


किसी की गर्द-ए-सफ़र बैठते भी देखेंगे

नज़रों से जादा ख़ता नहीं होता


हैं तजरबे मिरे एहसानमंद लफ़्ज़ों के

हो शक्ल या कि लबादा ख़ता नहीं होता First Updated : Thursday, 25 August 2022