क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा | जावेद अख़्तर
क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा, कुछ ना होगा तो तज़रूबा होगा,
क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा
कुछ ना होगा तो तज़रूबा होगा
हँसती आँखों में झाँक कर देखो
कोई आँसू कहीं छुपा होगा
इन दिनों ना-उम्मीद सा हूँ मैं
शायद उसने भी ये सुना होगा
देखकर तुमको सोचता हूँ मैं
क्या किसी ने तुम्हें छुआ होगा