क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा | जावेद अख़्तर

क्‍यों डरें ज़िन्‍दगी में क्‍या होगा,कुछ ना होगा तो तज़रूबा होगा,

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क्‍यों डरें ज़िन्‍दगी में क्‍या होगा

कुछ ना होगा तो तज़रूबा होगा

 

हँसती आँखों में झाँक कर देखो

कोई आँसू कहीं छुपा होगा

 

इन दिनों ना-उम्‍मीद सा हूँ मैं

शायद उसने भी ये सुना होगा

 

देखकर तुमको सोचता हूँ मैं

क्‍या किसी ने तुम्‍हें छुआ होगा First Updated : Wednesday, 03 August 2022