ख़ुशवंत सिंह की वजह से अमृता प्रीतम ने अपनी आत्मकथा का नाम रखा था ‘रसीदी टिकट’, जानिए इसके पीछे का दिलचस्प क़िस्सा

  Amrita Pritam: अमृता प्रीतम उन मशहूर लेखिकाओं में गिनी जाती हैं जिनकी कृतियों का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है. उनकी सबसे लोकप्रिय रचना आत्मकथा है जिसका नाम उन्होंने ख़ुशवंत सिंह की वजह से ‘रसीदी टिकट’रखा था. तो चलिए इसके पीछे का दिलचस्प किस्सा जानते हैं.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

Amrita Pritam Autobiography Raseedi Ticket: पंजाब के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक अमृता प्रीतम पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री मानी जाती है. उन्होंने अपने जीवनकाल में कुल मिलाकर 100 पुस्तकें लिखी हैं जिनमें से सबसे लोकप्रिय उनकी आत्मकथा 'रसीदी टिकट' है. कहा जाता है कि, इस आत्मकथा का नाम अमृता ने ख़ुशवंत सिंह की वजह से रखा था. बता दें कि, खुशवन्त सिंह भारत के एक प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, उपन्यासकार और इतिहासकार थे. उनकी लिखी हुई किताब ट्रेन टू पाकिस्तान बेहद लोकप्रिय हुई थी. तो चलिए आज अमृता प्रीतम की आत्मकथा पर एक नजर डालते हैं.

कौन है खुशवंत सिंह-

खुशवंत सिंह का बचपन का नाम खुशाल सिंह था. उनका जन्म 2 फरवरी 1915 को हदाली, पंजाब में एक सिख परिवार में हुआ था. वह एक भारतीय लेखक के साथ-साथ, वकील, राजनयिक, पत्रकार और राजनीतिज्ञ भी थे. 1947 के भारत विभाजन के उनके अनुभव ने उन्हें 1956 में 'ट्रेन टू पाकिस्तान' किताब लिखने के लिए प्रेरित किया था जो उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास बन गया. भारत सरकार द्वारा साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए साल 1974 में  पद्म भूषण और 2007 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.

खुशवंत सिंह
खुशवंत सिंह

कौन है अमृता प्रीतम-

अमृता प्रीतम अपने जमाने में मशहूर कवयित्री के रूप में गिनी जाती थी. अमृता का जन्म 31 अगस्त 1919 को गुजरांवाला पंजाब भारत में हुआ था. हालांकि उनका बचपन लाहौर में बीता और शिक्षा भी वहीं हुई. उन्होंने किशोरावस्था से कविता, कहानी और निबंध लिखना शुरू किया. उनके द्वारा लिखी गई रचनाएं अनेक देशी विदेशी भाषाओं में अनूदित है. अमृता को उनके अंतिम समय के दौरान उन्हें भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. वह साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली महिला लेखिका रही हैं.

अमृता प्रीतम-
अमृता प्रीतम

अमृता प्रीतम ने आत्मकथा का नाम क्यों रखा था ‘रसीदी टिकट-

अमृता प्रीतम की शादी 16 साल की उम्र में लाहौर के कारोबारी प्रीतम सिंह के साथ हुई थी लेकिन, शादी के कुछ ही समय बाद दोनों के रिश्ते में दरार आ गया. हालांकि उन्होंने अपने नाम में प्रीतम शब्द जोड़े रखा. इस रिश्ते को टूटने के बाद उनका नाम साहिर लुधियानवी के साथ जुड़ा जिसके बाद दोनों के प्रेम कहानी की चर्चा होने लगी. जब दोनों की प्रेम कहानी की खबरे मशहूर लेखक खुशवंत सिंह के कानों में पड़ी तो वो अमृता से सवाल कर बैठे. खुशवंत ने सवाल किया कि, आप अपनी और साहिर की प्रेम कहानी बताएं? जिसके बाद उन्होंने अपनी लव स्टोरी सुनाई हालांकि उसे सुनकर खुशवंत बेहद निराश हो गए. इस बात का जिक्र उन्होंने अपने एक लेख में भी किया है. इस लेख में उन्होंने लिखा है, दोनों की कहानी को तो एक रसीद टिकट भर जगह में लिखी जा सकती है. इसी बात से इंस्पायर होकर अमृता ने अपनी आत्मकथा का नाम 'रसीदी टिकट' रखा था.

आत्मकथा
आत्मकथा

अमृता ने अपनी आत्मकथा में क्या लिखा है-

अमृता ने अपनी आत्मकथा ‘रसीदी टिकट में उनके और साहिर के रिश्ते के बारे में जिक्र किया है. उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है- जब भी साहिर उनसे मिलने घर पर आते थे तो सिगरेट पीते थे. आधी सिगरेट पीने के बाद उसे राखदान में डाल देते थे. साहिर के जाने के बाद अमृता सिगरेट के उन हिस्सों को निकालती थीं तो उन्हें सुलगाती थीं. वो सिगरेट उन्हें साहिर का अहसास कराती थी.

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01 February 2024, 11:34 PM IST

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