शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम...पढ़ें राहत इंदौरी के पेंटर से मशहूर शायर बनने की कहानी
Rahat Indori Birthday Anniversary: शायर जगत के एक ऐसे शायर जिनके शेर हर अल्फाज़ के साथ नए अहसास की शुरुआत करते हैं. कभी वो गुदगुदाते हैं तो कभी समाज की सच्चाई को बेबाकी से बयान करते हैं. उनकी गजलें न सिर्फ मुहब्बत की बातें करती हैं, बल्कि समाज के कड़वे सच को भी उजागर करती हैं. हम बात कर रहे हैं राहत इंदौरी की जिनका आज जन्मदिन है तो चलिए इस खास मौके पर उनके बारे में कुछ दिलचस्प बाते जानते हैं.
Rahat Indori Birthday Anniversary: राहत इंदौरी का नाम सुनते ही ज़हन में वो अल्फ़ाज़ गूंजने लगते हैं, जो दिल को छू जाते हैं और सिस्टम को आईना दिखाने की ताकत रखते हैं. शेरों-शायरी और गजल के इस महान कलाकार ने अपनी प्रतिभा से हर दिल में अपनी जगह बनाई. उन्होंने शेरों-शायरी और गजलों के जरिए न केवल दिलों को जीता बल्कि समाज को भी आईना दिखाने का काम किया.
राहत इंदौरी की जिंदगी की कहानी संघर्ष, मेहनत और सफलता की एक प्रेरक मिसाल है. आज उनके जन्मदिन के मौके पर उनकी जिंदगी के कुछ अनसुने और रोचक किस्से आपको बताने जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं.
पेंटर से मशहूर शायर बनने का सफर
1 जनवरी 1950 को इंदौर की माटी में जन्मे डॉ. राहत इंदौरी का नाम आज शायरी की दुनिया में एक चमकता सितारा है. उन्होंने शेरों-शायरी और गजलों के जरिए न केवल दिलों को जीता बल्कि समाज को भी आईना दिखाने का काम किया. राहत इंदौरी की जिंदगी की कहानी संघर्ष, मेहनत और सफलता की एक प्रेरक मिसाल है.
राहत इंदौरी बनने की दिलचस्प कहानी
राहत इंदौरी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था. उनके पिता रिफअत उल्लाह ऑटो चलाते थे और बाद में मिल में नौकरी करने लगे. राहत साहब का असली नाम कामिल था, जो बाद में राहत उल्लाह और फिर राहत इंदौरी बन गया. इंदौर के प्रति उनके गहरे लगाव के चलते उन्होंने अपने नाम के साथ "इंदौरी" जोड़ लिया.
राहत साहब का बचपन मुफलिसी में बीता. आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी. इंदौर से हायर सेकेंडरी और ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय से एमए और भोज विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की.
पेंटिंग से शुरू हुआ सफर
राहत इंदौरी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. बचपन में परिवार की आर्थिक मदद के लिए उन्होंने काम करना शुरू कर दिया. सिर्फ 10 साल की उम्र में उन्होंने पेंटिंग का हुनर सीख लिया. उनके बनाए साइन बोर्ड और पोस्टर पूरे शहर में मशहूर हो गए. उनकी कूची का जादू ऐसा था कि लोग उनके काम के लिए लंबा इंतजार करते थे.
नौवीं कक्षा में याद थे 5,000 शेर
राहत साहब का शायरी से पहला परिचय नौवीं कक्षा में हुआ. एक स्कूल के मुशायरे में उन्होंने गजलकार जां निसार अख्तर से मुलाकात की. जब राहत साहब ने शायरी में रुचि दिखाई, तो जां निसार अख्तर ने कहा, "पहले 5,000 शेर याद करो." राहत साहब ने जवाब दिया, "इतने तो मुझे अभी याद हैं." इस पर जांनिसार साहब ने उन्हें शेर पढ़ने का मौका दिया, और उनकी प्रतिभा ने सबका दिल जीत लिया.
शायरी का जादू
राहत इंदौरी की शायरी हर दिल को छूने वाली है. उनके शेर प्यार, गुदगुदी और सामाजिक संदेशों का अनोखा मिश्रण हैं. उनकी आवाज, अंदाज और अल्फाज आज भी लोगों की जुबां पर रहते हैं.
राहत इंदौरी के मशहूर शेर
1. "हमसे भागा न करो दूर गज़ालों की तरह, हमने चाहा है तुम्हें चाहने वालों की तरह."
2. "सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है."
3."लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में, यहां पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है.."
4.न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा, हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा.".
5. शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम, आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे.."