बिहार में आज नहाय-खाय से हुई चैती छठ की शुरुआत, जानें चैती और कार्तिक छठ में अंतर
Chhath Festival: आज से चैती छठ की शुरुआत हो चुकी है, नहाय-खाय के साथ शुरू होने वाले इस व्रत का समापन पारण से किया जाता है. छठ व्रत देश का सबसे पवित्र व्रत है. मगर दोनों छठ में अंतर जानने के लिए खबर को पूरा पढ़ें.
Chhath Festival: देश के सबसे पवित्र पर्व छठ को यूपी और बिहार के लोग बहुत धूमधाम से मनाते हैं. इस पर्व के मौके पर चारों तरफ रौनक, खुशी, उल्लास दिखाई देता है. छठ व्रत में लगातार चार दिन तक उपवास रखा जाता है. पहला नहाय-खाय, दूसरा खरना, तीसरा पहली अर्घ, चौथा और आखिरी होता है पारण.
छठ का पावन पर्व साल में दो बार मनाया जाता है. जैसे कार्तिक छठ और चैती छठ. वहीं आज से नहाय-खाय के साथ चैती छठ की शुरूआत हो चुकी है. ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि चैती छठ और कार्तिक में अंतर क्या है. तो चलिए आज विस्तार से इसके बारे में आपको बताते हैं.
कार्तिक और चैती छठ
छठ के पावन पर्व पर छठी माता और सूर्य देव की आराधना की जाती है. साल में दो बार मनाएं जाने वाले इस छठ की एक ही समानताएं और नियम हैं. ये दोनों छठ व्रत की शुरूआत शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से ही होती है. दरअसल चैती छठ को नवरात्र के चौथे दिन से शुरू करके सप्तमी पर खत्म किया जाता है. छठ व्रत में 36 घंटे व्रत रखने का विधान है. इसके अतिरिक्त बहुत अधिक अंतर इन दोनों त्योहारों में नहीं है. इन दोनों त्योहारों में पवित्र नदियों में स्नान करने की भी परंपरा है.
1- दोनों त्योहारों में ज्यादा अंतर नहीं है, कार्तिक छठ में भी ठेकुआ, फल चढाया जाता है, और चैती छठ में भी इन सारे चीजों को भगवान भास्कर को समर्पित किया जाता है.
2- कार्तिक छठ को सूर्य षष्ठी के नाम से जाना जाता है,
3- कार्तिक छठ में सूर्य देव के साथ उषा देवी की आराधना की जाती है.
4- चैती छठ में सूर्य देव के साथ छठी मैया की आराधना की जाती है.
5- कार्तिक छठ के दरमियान माता पार्वती की आराधना की जाती है. वहीं चैती छठ में माता सीता की पूजा होती है.