Indian History: भारत का इतिहास नायकों से भरा हुआ है. भारत में कई वीर सपूतों की वीरता की कहानी दर्ज है लेकिन जाट योद्धा महाराजा सूरजमल की वीरता की कहानी बहुत कम बताई गई है. ये वही महाराजा सूरजमल है जिन्होंने मुगलों की सत्ता को चुनौती दी थी. महाराजा सूरज मल में वीरता, धीरता, गंभीरता, उदारता, सतर्कता, दूरदर्शिता, सूझबूझ, चातुर्य और राजमर्मज्ञता का सुखद संगम सुशोभित था. तो चलिए इस आर्टिकल में उनके बारे में कुछ दिलचस्प बाते जानते हैं.
स्वतंत्र हिंदू राज्य बनाने का सपना देखने वाले महाराजा सूरजमल एक ऐसे योद्धा थे जो कभी भी मुगलों के सामने नहीं झुके. मराठो के साथ मिलकर मुगलों को धूल चटाने वाले राजा सूरजमल का जन्म औरंगजेब की मृत्यु के दिन यानी 13 फरवरी 1707 ई. को हुआ था. उनके पिता का नाम राजा बदन सिंह था. राजस्थान का एक शहर जिसे भरतपुर के नाम से जाना जाता है इसकी स्थापना राजा सूरजमल ने ही किया था. महाराजा सूरजमल राजनीति कुशल, दूरदर्शी, सुन्दर, सुडौल और स्वस्थ थे.
भारत के इतिहास में बहुत सारे राजा हुए जिनकी वीरता के किस्से आपके अंग-अंग में जोश भर देंगे. ऐसे ही महाराजा सूरजमल थे भरतपुर के राजा थे. उन्हें को अदृश्य राजा भी कहा जाता था क्योंकि, वे अपने पूरे जीवन में अजेय थे. उन्हें कोई भी युद्ध में पराजित नहीं कर पाया था. वो अपने पूरे जीवन में 80 युद्ध लड़े लेकिन किसी भी युद्ध में उनकी हार नहीं हुई. सभी युद्ध में उन्होंने विजय पताका फहराया था. वो इतने बलशाली थे कि उनके नाम से मुगल बादशाह कांपते थे.
महाराजा सूरजमल की नाम से मुगल कितने डरते थे इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि, जब सूरजमल की सेना ने 9 मई 1753 से 4 जून 1753 तक दिल्ली पर अपनी हुकूमत चलाई थी. इस दौरान 26 दिन तक मुगल लाल किले में छिपे रहे थे. सूरजमल की सेना के इस कारनामे का जिक्र मुगल बादशाह अहमदशाह की जीवनी तारीख़-ए-अहमदशाह में किया गया है. आपको बता दें कि, सूरजमल इकलौते ऐसे राजा थे जिन्होंने मुगलों से आगरा का किला जीतने में सफलता हासिल की थी. First Updated : Saturday, 06 January 2024