Guru Gobind Singh Jayanti: यहां है गुरु गोबिंद सिंह का जन्म स्थान, जहां आज भी रखी है उनकी निशानियां
Guru Gobind Singh Jayanti: गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्म के समय उनके पिता तेग बहादुर असम और बंगाल में उपस्थित थे. वहीं उनकी माता गुजरी ने जब उनको जन्म दिया, तो गुरु तेग बहादुर जी को खबर पहुंचाई गई कि, उनके घर पुत्र ने जन्म लिया है.
हाइलाइट
- पटना साहिब गुरुद्वारा में प्रत्येक दिन सैकड़ों संगतों की भीड़ लगी रहती है.
- पटना साहिब में आज भी गुरु गोबिंद सिंह जी की अनेकों निशानियां मौजूद हैं.
Guru Gobind Singh Jayanti: गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म बिहार के पटना साहिब में हुआ था. उनके पिता का नाम तेग बहादुर और मां का नाम गुजरी था. गुरु के जन्म के समय उनके पिता असम और बंगाल में मौजूद थे. गुरु अपने माता-पिता के एक मात्र पुत्र थे, साथ ही सिखों के दसवें गुरु हैं. बता दें कि, गुरु गोबिंद सिंह जी के इस्तेमाल किए गए कृपाल, कंघा, खड़ाऊँ आज भी पटना साहिब में संभाल के रखे गए हैं.
पटना साहिब में बीता बचपन
बता दें कि जिस वक्त गुरु का जन्म हुआ था, उस समय उनके पिता असम एवं बंगाल की यात्रा पर गए हुए थे. दरअसल उस वक्त असम में जातीय भेदभाव फैला था, जिसे दूर करने के लिए तेग बहादुर असम और बंगाल में मौजूद थे. माता गुजरी ने इसी दौरान पुत्र रूप में गुरु गोबिंद सिंह जी को जन्म दिया. गुरु गोबिंद सिंह जी का पूरा बचपन पटना साहिब में बीता, 6 साल की आयु तक गुरु वहां खेले कूदे शिक्षा ली. वहीं गुरु ने लोगों के जनकल्याण के लिए तलवार उठाएं और सिखों के दसवें गुरु बन गए.
खालसा पंथ की स्थापना
गुरु गोबिंद सिंह जी ने साल 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की. इस दौरान गुरु ने पांच सिद्धांत लोगों को दिए. जिसका नाम पंच ककार है. गुरु गोबिंद सिंह जी के उपदेशों के मुताबिक सिखों के जीवन में पांच चीजों का बहुत महत्व है. जैसे केश, कृपाल, कच्छा, कंघा और कड़ा. इतना ही नहीं उन्होंने अपने जीवन काल में चंडी चरित्र, शास्त्र नाम माला, खालसा महिमा, जफरनामा, जाप साहिब, अकाल उस्तत, बिचित्र नाटक जैसी कई रचनाएं लिखी हैं.
गुरु गोबिंद सिंह जी की निशानियां
बिहार के पटना साहिब में आज भी गुरु गोबिंद सिंह जी की अनेकों निशानियां मौजूद हैं. जैसे जिस कुएं पर माता गुजरी पानी भरती थी और गुरु पानी पीते थे वह कुआं आज भी उपस्थित है. पटना साहिब गुरुद्वारा में प्रत्येक दिन सैकड़ों संगतों की भीड़ लगी रहती है. इतना ही नहीं उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए कृपाल, कंघा, खड़ाऊँ आज भी वहां संभाल के रखे गए हैं. गुरु गोबिंद सिंह जी का पूरा जीवन अत्याचार को रोकने और लोगों को अच्छी प्रेरणा देने में बीता है.