Benito Mussolini: वो तानाशाह जिसको जनता ने प्यार दिया और नफरत भी, चौक पर उल्टा लटकाया गया शव
Benito Mussolini: इटली के तानाशाह बेनितो मुसोलिनी की हत्या दुनियाभर में विवाद का विषय रही है. 28 अप्रैल 1945 में उनहें मार दिया गया था. कुछ लोगों का कहना है कि मुसोलिनी को नेता वाल्टर ऑडिस के आदेश पर मार डाला गया था.आईये जानते हैं कैसे क्या हुआ था.
Benito Mussolini: इटली के तानाशाह बेनितो मुसोलिनी सबसे ज्यादा विवादों में रहते थें. उन्होंने इटली में फासिस्ट संगठन की स्थापना की थी और 1922 में उन्हें प्रधानमंत्री बनाया दिया गया था. बेनितो मुसोलिनी 1922 में इटली के तानाशाह थें. वो 20वीं सदी के सबसे जानें मानें व्यक्तियों में से एक थें. उन्होंने यूरोप में फासीवाद के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
मुसोलिनी का जन्म
मुसोलिनी का जन्म 1883 में इटली के डोविया डी प्रेडापियो शहर में हुआ था. इनकी मां एक शिक्षिका और पिता लुहार थे. मुसोलिनी सेना में काम ना करना पड़े इसलिए स्विट्जरलैंड भाग गए क्योंकि वह सेना में काम नहीं करना चाहता था. इटली के नियम के अनुसार 18 साल का होते ही देश के हर लड़के को कुछ साल सेना में काम करना पड़ता था. वो अपनी युवा अवस्था में एक सक्रिय समाजवादी थीं और 1919 में फासिस्ट पार्टी की स्थापना से पहले एक पत्रकार के रूप में काम करते थें.
1919 में बनाई पार्टी
1914 में सबसे पहले विश्व युद्ध के समय मुसोलिनी ने अपने अखबार में एक लेख लिखा, जिसको लेकर देश में खूब हंगामा हुआ. उसने लिखा था कि इटली को निष्पक्ष नहीं रहना चाहिए. उसे विश्व युद्ध में फ्रांस और ब्रिटेन का साथ देना चाहिए. हालांकि, इस लेख के वजह से उसे अखबार की नौकरी से बाहर निकाल दिया गया. इसके बाद मुसोलिनी ने पत्रकारिता छोड़ दी और अपनी राष्ट्रवाद की विचारधारा के आधार पर लोगों को अपने साथ जोड़ना शुरू कर दिया. समर्थन में बढ़त देखी उन्होंने 1919 में नेशनल फासिस्ट पार्टी (राष्ट्रीय फासीवादी दल) के नाम से एक राजनीतिक दल खड़ा किया और अपने जैसे लोगों की भर्ती जारी की.
विरोध-प्रदर्शन के जरिए दिखाई ताकत
देश में पहले नारे के दम पर मुसोलिनी को भारी समर्थन मिला. उन्होंने काली पोशाक वाली पोशाक शुरू कर दी, जो उनकी पहचान बन गई. लोग उसे डूचे भी कहते थे. जर्मनी में भी राष्ट्रवाद के नाम पर राजनीतिक फ़िज़ा बदल रही थी. यह देखिए इटली की सेना में शामिल हुए सैनिक मुसोलिनी से जुड़े.सरकार की नीतियों से नापसंद ये सैनिक मुसोलिनी का समर्थन करने लगे.
सरकार को दी चुनौती
मुसोलिनी को जब लगा की वो इटली सरकार को चुनौती दे सकता है. तब 27 -29 अक्तूबर 1922 की रात उसने अपने साथ 30 हजार फासीवादी लोगों को लेकर इटली की राजधानी रोम पर हमला बोल दिया. तब उसने के प्रधानमंत्री लुइगी फैक्टा से त्याग पत्र मांग लिया था. भष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी से परेशान जनता उसके साथ खड़ी हो गई. लुइगी तथ्य की लोकतांत्रिक सरकार का साथ सेना ने भी नहीं दिया. इसके कारण लुइगी तथ्या को सरकार छोड़नी पड़ी और तब के राजा विक्टर इमैनुअल ने मुसोलिनी को प्रधानमंत्री बना दिया.
सरकार गिरने पर मुसोलिनी गिरफ्तार
1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ तो मुसोलिनी ने जर्मनी के तानाशाह हिटलर का साथ दे दिया। शुरुआत में यूक्रेनी तानाशाही पर धीरे-धीरे-धीरे-धीरे हीरा लगी. युद्ध के कारण 1943 तक इटली में काफी मंहगाई हो गई. बेरोजगारी भत्ता के साथ ही बेरोजगारी बढ़ी. इसके बाद जिन लोगों ने उसका साथ दिया वही लोग उससे नफरत करने लगे. 25 जुलाई 1943 को इटली के राजा ने मुसोलिनी को गिरफ्तार करवा लिया. उसकी सरकार भंग कर दी जिसके बाद हिटलर ने उसे छुड़वा लिया था.
सैनिक ने मारी गोली
इटली समूह के दल में मुसोलिनी के सैनिकों की जानकारी मिली तो हर गाड़ी की जांच शुरू कर दी. मुजफ्फरपुर की सीमा से थोड़ी ही पहले जांच में दल के एक सैनिक ने मुसोलिनी की पहचान कर ली. 28 अप्रैल की देर रात मुसोलिनी, क्लेरेटा और उसके साथियों को एक झील के पास ले जाकर गोली मार दी गई. 29 अप्रैल की सुबह इन अलामठ लामाता मिलान शहर के चौक पर फाँसी दी गई.
चौक पर उल्टा लटकाया गया शव
मिलान में जब खबर फैली की मुसोलिनी की मौत हो गई, हजारों लोग चौक पर जमा हो गए. एक महिला ने मुसोलिनी के शव को पांच गोलियां मारीं और कहा कि वह अपने पांच बच्चों की मौत का बदला ले रही है. एक दूसरी महिला ने शव पर कोड़े बरसाए. बता दें, मुसोलिनी की मौत के दो दिन बाद ही हिटलर ने भी खुदकुशी कर ली थी.