Ram Katha: बिहार के स्वयंवर में प्रभु राम ने तोड़ा था शिव धनुष, गुरु महर्षि विश्वामित्र संग पहुंचे थे राजा जनक के दरबार
Ram Katha: भक्ति-भाव के साथ भगवान शिव की पूजा करने से लोगों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है. वहीं प्रभु राम वनवास के दौरान पग-पग पर शिव की शिवलिंग बनाकर उनकी उपासना किया करते थे.
हाइलाइट
- सीता स्वयंवर का हिस्सा बनने से पहले प्रभु राम ने अपने हाथों से एक शिवलिंग की स्थापना की थी.
- शिव धनुष का खंडन करने से पूर्व प्रभु श्रीराम ने बक्सर में ही अपने इष्टदेव शिव की उपासना की थी.
Ram Katha: शास्त्रों के मुताबिक नारद पुराण में सिद्धाश्रम (बिहार के बक्सर) को भगवान शंकर का तपोवन कहा गया है. जबकि बिहार की इस धार्मिक भूमि पर प्रभु श्रीराम और महर्षि विश्वामित्र सहित कई ऋषि-मुनियों के चरण पड़े हुए हैं. यह स्थान तपस्थली के नाम से भी पुकारा जाता है, इतना ही नहीं मां गंगा के उत्तरायणी प्रवाह की वजह से इसे मिनी काशी भी कहा जाता है.
सीता स्वयंवर में पहुंचे प्रभु राम
बिहार के बक्सर रेलवे स्टेशन से करीब 2 किलोमीटर उत्तर प्रसिद्ध राम रेखा घाट के तट पर रामेश्वर नाथ मंदिर देश की प्रमुख आध्यात्मिक मंदिर है. जिसके पुजारी का कहना है कि, शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि, त्रेता युग में प्रभु श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण संग इसी स्थान से अपने गुरु महर्षि विश्वामित्र के साथ गंगा पार करके राजा जनक के दरबार पहुंचे थे.
वहां जाकर उन्होंने सीता स्वयंवर में भाग लिया, कहा जाता है कि राजा जनक के दरबार में पहले से ही कई राजकुमार पहुंचे हुए थे. जबकि सीता स्वयंवर का हिस्सा बनने से पहले प्रभु राम ने अपने हाथों से एक शिवलिंग की स्थापना की थी. जनक दरबार में चल रहे माता सीता के स्वयंवर में रखे शिव धनुष का खंडन करने से पूर्व प्रभु श्रीराम ने बक्सर में ही अपने इष्टदेव शिव की उपासना की थी.
श्रीराम भक्तों की भारी भीड़
शास्त्रो में इस बात विशेष वर्णन है कि, भगवान शिव की आराधना किए बिना कोई भी कार्य सम्पन्न नहीं हो सकता है. बक्सर के इस स्थान पर शिव मंदिर का निर्माण कर दिया गया, वहीं यहां पूरे भक्ति-भाव के साथ भगवान शिव की पूजा करने से लोगों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है. बताया जाता है कि, सावन माह में भोले बाबा की एक झलक पाने को श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचते हैं. प्रभु राम ने वनवास के दौरान पग-पग पर शिव की शिवलिंग बनाकर उनकी उपासना किया करते थे. शास्त्रों में इस बात का वर्णन किया गया है कि, शिव आराधना के पूर्व कोई भी कार्य सफल नहीं है.