Maharaja of Baroda: भारत में आजादी के वक्त पांच सौ से अधिक देसी रियासतें मौजूद थी. सारे राज्य के अपने राजा और महाराजा हुआ करते थे. जिनके पास दौलत की कमी नहीं होती थी. वहीं इन राजाओं के कई प्रकार के शौक होते थे, मगर आज हम बात कर रहे हैं बड़ौदा के महाराजा की. जिनके पास अधिक संपत्ति थी, इतना ही नहीं वह दिन-रात सोने हीरे की पूजा करना पसंद करते थे. जबकि महाराजा का एक अनोखा शौक था. जिसे सुनने के बाद आप भी अचंभित होने वाले हैं.
दरअसल बड़ौदा के महाराजा केवल सोने के कपड़े पहनते थे. इस बात का पता इतिहासकार डोमिनिक लापियर व लैरी कॉलिन्स की किताब पढ़ने के बाद लगी. इनकी पुस्तक "फ्रीडम एट मिडनाइट" में साफ तरीके से लिखा गया है कि, महाराजा बड़ौदा अपने दरबार में जो पोशाक पहनकर आया करते थे, वह सोने के तार की बुनी होती थी. जिसको बहुत बारीकी से बनाया जाता था. यहां तक की उसको बनाने में कई महीनों का समय लगता था.
बड़ौदा रियासत में केवल एक ही परिवार के लोगों को राजा की पोशाक बनाने की इजाजत थी. इनकी कई पीढ़ियां ये काम करते आ रही थी, सोने के तार के कपड़े बनाना इस परिवार के अलावा कोई नहीं जानता था. डोमिनिक लापियर व लैरी कॉलिन्स किताब में लिखते हैं कि जो परिवार महाराजा बड़ौदा की पोशाक का निर्माण करता था. उस परिवार के प्रत्येक व्यक्ति के नाखून कई सेंटीमीटर लंबे हुआ करते थे. वहीं उन नाखूनों को बहुत बेरहमी से काटा जाता था.
आपको बता दें कि, बड़ौदा के महाराजा के महल में हीरे-जवाहरात का एक संग्रह हुआ करता था. जिसके अंदर दुनिया का सातवां सबसे बड़ा हीरा सितार-ए-दक्खन मौजूद था. इस हीरे के बारे में बताया जाता है कि, फ्रांस के सम्राट नेपोलियन तृतीय ने अपनी प्रेयसी यूजीन को इसी हीरे की जेवरात उपहार में दी थी. इसके बावजूद मोतियों के परदे, सोने के बूट, लाल-हरे जवाहरात संग्रह में हुआ करते थे. First Updated : Sunday, 18 February 2024