Maharana Pratap Jayanti: जानिए भारत के गौरव शिरोमणि महाराणा प्रताप की वीरता का इतिहास
आज देश में भारत के वीर सपूत महाराणा प्रताप की 486 वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 ई.में राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था। तो आइए उनके जयंती के खास मौके पर उनके इतिहास के बारे में जानते हैं।
ज्येष्ठ माह के शुक्ल तृतीया 9 मई1540 ईसवी को राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था, राणा मेवाड़ वंश के शासक उदय सिंह के 33वीं संतान थे। प्रताप निडर प्रवृत्ति, अनुशासन प्रिय और निष्ठा, कुशलनेतृत्व क्षमता और बुजुर्गों व महिलाओं के प्रति सम्मानजनक दृष्टिकोण रखने वाले थे। जो निहत्थे पर कभी वार नहीं करते थे।
उनका विशालकाय शरीर की लंबाई 7 फीट औरवजन 110 किलोग्राम था। प्रताप हमेशा 72 किलों के कवच 81 किलों के भाला और 104 किलों के दो तलवारों को साथ लेकर चलते थे। उनके पास एक ताकतवर घोड़ा था जिसका नाम चेतक था, अंतिम समय में जब महाराणा प्रताप के पीछे मुगल सेना पड़ी थी तब चेतक ने प्रताप को पीठ पर बैठाकर 26 फीट की ऊंची छलांग लगाकर नाला पार किया था और वीर गति को प्राप्त हुआ था जबकि इस नाले को मुगल सैनिक पार नहीं कर सकें थे।
दिल्ली का सल्तनत-
महाराणा प्रताप के काल में दिल्ली में मुगल यानी अकबर का शासन था जो देश के सभी राजाओं को अपने अधीन कर मुगल राज्य की स्थापना कर अपना परचम लहराना चाहते थे। हालांकि लगातार 30 सालों के प्रयासों के बावजूद भी महाराणा प्रताप को अकबर अपने अधीन नहीं कर पाया।
महाराणा प्रताप की शक्ति उनका घोड़ा
प्रताप के पास एक बेहद ताकतवर घोड़ा था जिसे वह बहुत प्यार करते थे। प्रताप का यह घोड़ा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ घोड़ा में से एक था। कहा जाता है कि प्रताप 208 किलो वजन के साथ युद्ध के मैदान में उतरे थे। आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि राणा उस समय कितने ताकतवर थें। भारत के इतिहास में राणा एकमात्र ऐसे योद्धा थे जो कभी भी किसी मुगल शासक के सामने हार नहीं माने।
अकबर और महाराणा प्रताप के बीच युद्ध
भारतीय इतिहास में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच युद्ध काफी प्रसिद्ध है। 1576 ई में हल्दीघाटी युद्ध हुआ था, इस युद्ध में राणा 20 हजार राजपूतों को लेकर अकबर की विशाल सेना के छक्के छुड़ा दिए थे। हालांकि इतिहासकार मानते हैं कि इसयुद्ध में कोई विजय नहीं हुआ। लेकिन महाराणा प्रताप और राजपूतों का युद्ध कौशल देखकर अकबर बहुत घबरा गया जिसके बाद वह वह सपने में भी राणा के नाम से डर जाता था। इस युद्ध के बाद भी मुगलों और राजपूतों के बीच लंबे समय तक युद्ध चलता रहा।