Rahat Indori Shayari: राहत इंदौरी शायरी के वो शहंशाह रहे हैं जिन्होंने सिर पर ताज रखे बिना बादशाहत की है. ट्रकों के पीछे शायरी लिखने से लेकर लोगों के दिलों में उतर जाना कोई आसान काम नहीं था, लेकिन राहत इंदौरी ने करके दिखाया. राहत आम लोगों के शायर थे, उन्होंने आम लोगों की परेशानियों को अपनी शायरी में अच्छी खासी जगह दी. शायद लोगों के दिलों में जगह बनाने में इस बात का बहुत बड़ा योगदान रहा होगा.
राहत इंदौरी फ़िलहाल ख़ुद तो इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन वो अपनी शायरी के ज़रिए हमारे दिलों पर अभी भी राज करते हैं. जब हम ज़िंदगी के किसी मोड़ पर फँसते हैं तो उनकी शायरी कई बार समस्याओं से निजात दिला देती है. आज हम आपको राहत इंदौरी के कुछ यादगार और मशहूर शेर इस ख़बर में पढ़वाने जा रहे हैं.
हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं
वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा
मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए
मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ
यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे
ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर
जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे
सोए रहते हैं ओढ़ कर ख़ुद को
अब ज़रूरत नहीं रज़ाई की
बैठे बैठे कोई ख़याल आया
ज़िंदा रहने का फिर सवाल आया
ज़िंदगी किस तरह गुज़ारते हैं
ज़िंदगी भर न ये कमाल आया
काली रातों को भी रंगीन कहा है मैं ने
तेरी हर बात पे आमीन कहा है मैं ने
First Updated : Tuesday, 19 March 2024