गुनगुनाती हुई आती हैं फ़लक से बूंदें...पढ़िए मौसम की पहली बारिश पर शायरों के कलाम

Shayari on Barish: भारत के सभी राज्यों में लगभग-लगभग मानसून ने दस्तक दे दी है. इस बीच आज हमको  मौसम की पहली बारिश पर कुछ शेर पेश करने जा रहे हैं जिसे पढ़कर आपका मन खुश हो जाएगा. इसके अलावा आप इन शायरियों को अपने किसी खास को भेज सकते है. अगर आप अपने दिल का हाल भी कहना चाहते हैं तो बारिश के इन कोट्स और शायरियों को भेज सकते हैं.

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Shayari on Barish: बारिश का मौसम दस्तक दे चुका है. कई लोग को बारिश बेहद पसंद है साथ ही इसमें नहाना भी काफी पसंद है. बारिश के मौसम आते है सभी के घर में चाय पकौड़े बनने शुरू हो जाते हैं. बरसात को मौसम प्रेमियों के लिए बेहद खास होता है क्योंकि यह मौसम अपने दिल का हाल बयां करने के लिए परफेक्ट माना जाता है. इस बीच आज हम मौसम की पहली बारिश पर मशहूर शायरों के कुछ चुनिंदा शेर पेश करने जा रहे हैं जिसे पढ़कर आपका दिल खुश हो जाएगा.

नीचे कुछ उम्दा शेर-शायरी दिए गए हैं जिन्हें आप अपने किसी खास को बरसात के मौसम में भेज सकते हैं. कहे-अनकहे किसी को अपने दिल का हाल बताने के लिए ये शायरी परफेक्ट हैं. ये शायरी मशहूर शायरों द्वारा लिखी है.

पेश है मौसम की 'पहली बारिश' पर कुछ चुनिंदा शेर

➤ लबों पर तबस्सुम तो आँखों में आँसू थी धूप एक पल में तो इक पल में बारिश
हमें याद है बातों बातों में उनका हंसाना रुलाना रुलाना हँसाना

 ज़रा ठहरो कि पढ़ लूँ क्या लिखा मौसम की बारिश ने
मिरी दीवार पर लिखती रही है दास्ताँ वो भी

  ग़रीबों पर तो मौसम भी हुकूमत करते रहते हैं
कभी बारिश कभी गर्मी कभी ठंडक का कब्जा है

 दूर तक फैला हुआ पानी ही पानी हर तरफ़
अब के बादल ने बहुत की मेहरबानी हर तरफ़

 हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी शराब
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया

  फ़ुर्क़त-ए-यार में इंसान हूँ मैं या कि साहब
हर बरस आ के रुला जाती है बरसात मुझे

 कच्ची दीवारों को पानी की लहर काट गई
पहली बारिश ही ने बरसात की ढाया है मुझे

 कौन है इस रिम-झिम के पीछे छुपा हुआ
ये आँसू सारे के सारे किस के हैं  

दर-ओ-दीवार पे शक्लें सी बनाने आई
फिर ये बारिश मिरी तन्हाई चुराने आई

➤ घटा देख कर ख़ुश हुईं लड़कियाँ
छतों पर खिले फूल बरसात के

हम से पूछो मिज़ाज बारिश का
हम जो कच्चे मकान वाले हैं

भीगी मिट्टी की महक प्यास बढ़ा देती है
दर्द बरसात की बूँदों में बसा करता है

बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है

➤ गुनगुनाती हुई आती हैं फ़लक से बूँदें
कोई बदली तिरी पाजेब से टकराई है

'कैफ़' परदेस में मत याद करो अपना मकाँ
अब के बारिश ने उसे तोड़ गिराया होगा

मैं चुप कराता हूँ हर शब उमडती बारिश को
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है

कहाँ जाती हैं बारिश की दुआएँ
शजर पर एक भी पत्ता नहीं है

First Updated : Wednesday, 03 July 2024