Plato Idea: प्लेटो की नजर में सामाजिक विकास और लोकतंत्र, जानें शिक्षा से लेकर राजनैतिक व्यवस्था तक क्या कुछ कहा...
प्लेटो का मानना है कि राजा के पास इतना ज्ञान होता है कि वह बाकी वर्गों का मार्गदर्शन करता है और सही व्यवस्था कायम कर राज्य का सुचारु रूप से चलाने में मदद करता है.
Plato Idea: प्लेटो (418 ईसा पूर्व से 347 ईसा पूर्व) ग्रीक दार्शनिक और पश्चिम में दर्शन के लिए सबसे रचनात्मक व्यक्ति के रूप में एक थे. उनको राजनैतिक और नैतिकता पर विचार व्यक्त करने के साथ लोकतांत्रिक संस्थाओं की आलोचना करने के लिए जाना जाता है. प्लेटो की मानें तो समाज को तीन हिस्सों में बंटकर अपनी अहम भूमिका निभाते हैं. जिसमें मुख्य रूप से आर्थिक गतिविधियों को व्यापारी वर्ग, सुरक्षा का जिम्मा सैनिकों के ऊपर और राजनैतिक नेतृत्व एक दार्शनिक राजाओं के ऊपर होता है.
राजा ज्ञानी और दार्शनिक होना चाहिए
प्लेटो का मानना है कि राजा के पास इतना ज्ञान होता है कि वह बाकी वर्गों का मार्गदर्शन करता है और सही व्यवस्था कायम कर राज्य का सुचारु रूप से चलाने में मदद करता है. नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सारा मोनोसोन के मुताबिक, प्लेटो के विचारों में तार्किक क्षमता है, वह पूरी दुनिया में घटित होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए ट्रेनिंग देने काम करता है. ये राजनैतिक सत्ता के लिए सबसे मूल्यावान सिद्धांत है.
जनता को शिक्षित और सभ्य होना चाहिए: प्लेटो
प्लेटो के नजरिए से दार्शनिक राजा कभी भी सत्ता के लिए व्याकुल नहीं होता है और न ही भ्रष्टाचार के प्रति आकर्षित होता है. क्योंकि ऐसे लोग ईमानदार और अपनी जिम्मेदारी को समझते हैं. लेकिन इसी बीच प्लेटो सूचना विहिन समाज से काफी चिंतित थे. उनका मानना था कि बिना शिक्षा के जनता को कोई भी बहला फुसलाकर बेवकूफ बना सकता है. कई दफा यह इतना बड़ा खतरा बन जाता है कि लोगों के बीच में एक ऐसा तानाशाह उभरता है जो यह कहता है कि मैं सारी समस्याओं का समाधान कर दूंगा लेकिन वह उल्टा जनता का ही शोषण करता हुआ दिखाई देता है. इसलिए सामाजिक विकास के लिए जनता को शिक्षित होना बेहद जरूरी है.
प्लेटो लोकतांत्रिक संस्थाओं के आलोचक रहे हैं
इसी बीच प्लेटो लोकतंत्र के सबसे बड़े आलोचक हो जाते हैं, क्योंकि उनका मानना था कि जनता मूर्खता में एक ऐसे नेता को चुन लेती है. जिसका बौद्धिक स्तर निचले पायदान पर होता है. इसके साथ ही प्लेटो ऐसे खतरे से बचने और शांतिप्रिय समाज का विकास करने के लिए दो चीजों को प्रमुखता देते हैं. इसमें पहला शिक्षा और दूसरा शासन व्यवस्था.
समाज में शिक्षा कैसी होनी चाहिए?
शिक्षा को लेकर प्लेटो की मानें तो एक व्यक्ति सामाजिक हैसियत उसकी शिक्षा पर निर्भर करता है. जो कि उसके बचपन से शुरू होती है और जब तक वह अच्छी शिक्षा हासिल न कर ले उसके जीवन में चलती रहती है. जिन्होंने अच्छी शिक्षा ग्रहण की है, वह शासन के उच्च स्तर पर होते हैं. प्रो सोलांस कहते हैं कि प्लेटो अच्छी शिक्षा का मतलब था कि मानवीय चेतना जागना. यानी छात्रो को कम उम्र में सोचना-जागने की क्षमता और सवाल पूछने की परंपरा को विकसित करना है. उन्होंने आगे कहा कि ज्ञान का एक सामाजिक मूल्य होता है कि वह अपने अंदर आलोचनात्मक पक्ष को मजबूत करे.
एथेंस में प्लेटो ने पहला एकडेमी स्कूल खोला
इसी के साथ प्लेटो एक ऐसी व्यावहारिक शिक्षा की बात करते हैं जहां जो कला, संगीत और नृत्य को निखारे. इस तरह की शिक्षा का प्रसार ग्रीस में उस वक्त खूब होता था. 387 ईसा पूर्व प्लेटो एथेंस में एक एकडेमी शिक्षा को लेकर काम किया और ढांचागत तरीके से शिक्षा व्यवस्था को बनाया. जिसे पहली यूरोपीय यूनिवर्सिटी भी कहा जाता है. उनका यहां पर खगोलशास्त्र, गणित, राजनीतिक, जीव विज्ञान, सिद्धांत और दर्शन शामिल था, उनके छात्रों में सबसे ज्यादा प्रतिभावान अरस्तू थे.
शासक वर्ग कैसा होना चाहिए?
समाज को गैर-बराबरी से मुक्ति दिलाने के साथ सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए सबसे अहम चीज है कि अच्छा शासक होना चाहिए. इस बारे में विस्तार से प्लेटो ने अपनी पुस्तक रिपब्लिक ने चर्चा की है. उनका मानना है कि समाज को सक्षम बनाने के लिए विचार-विमर्श, सामान्य भलाई चाहने वाले, एकीकृत परियोजना और समाज में मतभेदों से निपटने के लिए कार्य किया जाए. प्लेटो ने कहा है कि एक शासक कार्य है कि सार्वजनिक भाषणों से जनता को संतुष्ट करना होगा, उन्हें व्यवस्था के बारे बताने होंगे और नागरिकों से सवाल करने होंगे. एक अच्छे शासक का कार्य है कि एक स्वतंत्र चर्चा के लिए माहौल बनाए और उसमें आलोचना को महत्व दिया जाना चाहिए.
शिक्षा का कार्य है कि पह दार्शनिक गुणों वाली जनता पैदा करे
एक आदर्श समाज की पहचान होती है कि वह एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था को खड़ा करें कि जहां दार्शनिक गुणों वाले लोग पैदा हों और भरोसमंद बनाया जाए. आज की शिक्षा सिर्फ बाजार के लिए बनती जा रही है, अगर प्लेटो होते तो वह इसे सिरे नकार देते. शिक्षा समाज का सबसे बड़ा हथियार होता है. जिसका कार्य एक इंसान को सभ्य और कलात्मक बनाने का कार्य होना चाहिए.