Khushwant Singh Birthday: देश-दुनिया की चर्चित लेखिका अमृता प्रीतम का व्यक्तित्व ही रहस्य से भरा हुआ है. अमृता प्रीतम पंजाबी के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक थी. उनका जन्म पाकिस्तान के गुजरांवाला में 31 अगस्त, 1919 को हुआ था. अमृता प्रीतम की शादी पूरे विधी विधान से हुईं थी. लेकिन ये अलग हो गए. शायर साहिर से एकतरफा प्यार और बिना शादी किए उनके साथ पूरा जीवन गूजार दिया. अमृता प्रीतम इन्हीं उतार-चढ़ाव भरी जिंदगी जीने वाली शख्सियत थीं, जिनके लेखन ने साहित्य जगत को नया आयाम दिया.
अमृता प्रीतम उन साहित्यकारों में थीं जिनकी कृतियों का अनेक भाषाओं का में अनुवाद हुआ. अपने अंतिम दिनों में अमृता प्रीतम को भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान पद्मविभूषण भी प्राप्त हुआ. उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से पहले ही अलंकृत किया जा चुका था. अमृता प्रीतम को पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री माना जाता है. अमृता प्रीतम एक प्रसिद्ध कविता लिखी थी. जिसमें 1947 भारत विभाजन के समय हुए पंजाब के भयंकर हत्याकांडों का अत्यंत दुखद वर्णन किया गया है. उसका नाम 'रसीदी टिकट' रखा. पेश है अमृता प्रीतम का वो गीत जिसको ख़ुशवंत सिंह ने भी किया सलाम...
अज आखां वारिस शाह नू कितों कबरां विचो बोल !
ते अज किताब -ऐ -इश्क दा कोई अगला वर्का फोल !
इक रोई सी धी पंजाब दी तू लिख -लिख मारे वेन
अज लखा धीयाँ रोंदिया तैनू वारिस शाह नू कहन
उठ दर्मंदिया दिया दर्दीआ उठ तक अपना पंजाब !
अज बेले लास्सन विछियां ते लहू दी भरी चेनाब !
किसे ने पंजा पानीय विच दीत्ती ज़हिर रला !
ते उन्ह्ना पनिया ने धरत उन दित्ता पानी ला !
जित्थे वजदी फूक प्यार दी वे ओह वन्झ्ली गई गाछ !
रांझे दे सब वीर अज भूल गए उसदी जाच !
धरती ते लहू वसिया , क़ब्रण पयियाँ चोण !
प्रीत दियां शाहज़ादीआन् अज विच म्जारान्न रोण !
अज सब ‘कैदों ’ बन गए , हुस्न इश्क दे चोर !
अज किथों ल्यायिये लब्भ के वारिस शाह इक होर !
खुशवंत सिंह का जन्म 2 फरवरी, 1915 को पाकिस्तान पंजाब के खुशाब के हदाली जिले में हुआ था. उन्होंने सेंट स्टीफन कॉलेज (दिल्ली) और किंग्स कॉलेज (लंदन) में अध्ययन किया. वह भारत के एक प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक, उपन्यासकार और इतिहासकार थे. लेकिन, ख़ुशवंत सिंह खुद मानते थे कि वो कोई महान लेखक नहीं हैं और वो शायद थे भी नहीं. उनकी कामयाबी की सबसे बड़ी वजह थी कि वो अपने पाठकों के लिए लिखते थे.
अमृता प्रीतम की इस नज़्म को खुशवंत सिंह ने भी किया सलाम
भारत पाकिस्तान के बीच बंटवारे के बाद जो दोनो ओर की महिलाओं पर बीती उन्हें अमृता ने शब्द दिए और गीत लिखा 'अज्ज आखां वारिस शाहू नूं' जो भारत और पाकिस्तान दोनो देशों की महिलाओं की पीड़ा को बयां करता है और दोनों ही देश में खूब प्रचलित भी है. खुशवंत सिंह का मानना था कि बस यही एक गीत है जो अमृता को अमर बनाता है. इसके अलावा उन्होंने ऐसा कुछ खास नहीं लिखा है. First Updated : Friday, 02 February 2024