Kabir ke Dohe: कबीर के वो दोहे, जो जीवन को दिखाते हैं सही रास्ता

Kabir ke Dohe: सदियों पहले लिखे गए कबीर के दोहे आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं. आज जानते हैं कुछ ऐसे दोहे के बारे में जो सही रास्ता दिखाने में मदद करते हैं.

Shabnaz Khanam
Edited By: Shabnaz Khanam

हाइलाइट

  • समाज की कुरीतियों-अंधविश्वास पर कबीर के दोहे प्रहार करते हैं

Kabir ke Dohe: बचपन से आज तक कुछ दोहे ऐसे हैं जो आप सुनते आए हैं. उमने कबीर दोहावली को पसंद करने वालों की बहुत ज़्यादा संख्या है. सदियों पहले लिखे गए कबीर के दोहे आज भी लोगों में लोकप्रिय हैं. कबीर के दोहे की लोकप्रियता की एक खास वजह है उनमें जीवन को लेकर सही रास्ता बताया गया है. यही वजह है कि आज भी कबीर के दोहे को लोग आम बोलचाल में इस्तेमाल करते हैं. 

कबीर दास ने उस वक्त में समाज के अंदर जो भी कुरीतियां जैसे अंधविश्वास था, उसपर अपने दोहो से हमला किया था. कबीर के दोहों से समाज को आईना दिखाया गया था. आज ऐसे कुछ दोहे आपके लिए लेकर आए हैं जो जिंदगी से रुबरु कराते हैं. 

कबीर के दोहे

दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, दुख काहे को होय।

दोहे का मतलब- हर शख्स सिर्फ दुख में या किसी परेशानी में फंसे होने के दौरान ही भगवान को याद करता है, और जब अच्छा समय आता है तो उनको भूल जाता है. दूसरी लाइन में कहा गया कि जो सुख में भी भगवान को याद करेगा तो उसे दुख ही क्यों होगा.

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोय।
जो मन खोजा आपना, तो मुझसे बुरा न कोय।।

दोहे का मतलब- कबीर दास जी कहते हैं कि अगर व्यक्ति अपने मन के अंदर झांक कर देखे तो उसे लगेगा कि उससे बुरा कोई नहीं है. इसमें उन्होने कहा है कि बुराई सामने वाले में नहीं बल्कि देखने वाले के नजरिए में होती है.

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।

दोहे का मतलब- कई लोग ऐसे होते हैं, जिनको अपने गुणों पर बहुत घमंड होता है. लेकिन विनम्रता के बिना इन गुणों का कोई फायदा नहीं होता है. इसको कबीर दास ने अपने दोहे में समझाया है. जिस प्रकार खजूर का पेड़ बहुत बड़ा होता है लेकिन उससे न तो किसी व्यक्ति को छाया मिल पाती है और न ही उसके फल किसी के हाथ आते हैं.

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब-कुछ होए।
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होए।

दोहे का मतलब- आज के इस दौर में हर किसी को जल्दी से सफलता चाहिए. इस पर कबीरदास ने लिखा कि धीरज रखने से सब कुछ होता है. भले ही कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचे लेकिन, तब भी फल तो ऋतु आने पर ही लगेगा.

calender
02 August 2023, 06:51 AM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो