Makar Sankranti: मकर संक्रांति से क्या है अलाउद्दीन खिलजी का संबंध, इस दिन खिचड़ी की क्या है विशेषता

Makar Sankranti: अलाउद्दीन खिलजी जब भारत छोड़कर भागा था, उस दिन खिचड़ी बनाया गया था. वहीं खिचड़ी को अनेक प्रकार की सामग्री के मिश्रण से बनाया जाता है.

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 Makar Sankranti: मकर संक्रांति का विशेष पर्व प्रत्येक वर्ष जनवरी माह में मनाया जाता है. इस दिन को हिन्दू धर्म में अधिक महत्वपूर्ण बताया गया है. ऐसा कहा जाता है कि, मकर संक्रांति मनाने के बाद ही मांगलिक कार्य करना शुभ होता है. वहीं इस दिन खिचड़ी और तिल खाना अति फलदायक साबित होता है. इतना ही नहीं गंगा स्नान करके सूर्य देव को जल चढ़ाकर, दान करना शुभ माना गया है. 

संक्रांति पर ‘खिचड़ी' क्यों है विशेष?

मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है, मगर वर्ष 2024 में इसकी तारीख 15 जनवरी रखी गई है. मकर संक्रांति पर तिल, गुड़ के साथ-साथ खिचड़ी खाने की मान्यता है. दरअसल इस दिन खिचड़ी खाने के पीछे की वजह ग्रह नक्षत्र को माना जाता है. बता दें कि, खिचड़ी को अनेक प्रकार की सामग्री के मिश्रण से बनाया जाता है. इसमें नमक, हल्दी, तमाम तरह की हरी सब्जी, दाल डाली जाती है. वहीं नमक का संबंध चंद्रमा, हल्दी का गुरु, हरी सब्जी बुध, खिचड़ी की ताप मंगल ग्रह को समझा जाता है.

कहां से हुई 'खिचड़ी' खाने की शुरुआत?

आपको बता दें कि, एक कथा के मुताबिक अलाउद्दीन खिलजी व उसकी सेना के विरुद्ध बाबा गोरखनाथ के साथ-साथ उनके तमाम शिष्यों ने खूब संघर्ष किया है. जबकि युद्ध की वजह से सभी योगीजन भोजन पकाकर सही प्रकार से खा नहीं पाते थे. जिसके कारण योगियों की शारीरिक शक्ति दिन प्रतिदिन कमजोर होने लगी थी. जिसके बाद गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जियों को मिलाकर एक व्यंजन बनाया, जिसे खिचड़ी का नाम दिया गया. इस खिचड़ी को खाने के बाद सेनाओं में ताकत पैदा होने लगी.

भारत छोड़ भागा अलाउद्दीन खिलजी

वहीं युद्ध में पूरी तरह हार जाने के बाद अलाउद्दीन खिलजी भारत छोड़कर भाग निकला. दरअसल उस दिन मकर संक्रांति थी, जिसके बाद योगियों ने उस दिन भी खिचड़ी बनाई एवं बाबा गोरखनाथ को भोग लगाया. इस दिन के बाद से हर साल मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाने की परंपरा चलती आ रही है. इतना ही नहीं इस दिन गरीबों को दान करना भी अधिक शुभ माना जाता है. First Updated : Saturday, 13 January 2024