गर्मी लगी तो ख़ुद से अलग हो के सो गए... पढ़ें गर्मी पर शेर

जून का महीना, तपपी दोपहर तिस पर लू के थपेड़े, ऐसे में घर से बाहर निकलना कितना मुश्किल हो जाता है लेकिन काम पड़ जाने के बाद निकलना ही पड़ता है.

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जून का महीना, तपपी दोपहर जिस पर लू के थपेड़े, ऐसे में घर से बाहर निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है लेकिन काम पड़ जाने के कारण बाहर निकलना ही पड़ता है. हिंदी में इस महीने को ज्येष्ठ कहा जाता है. 

इस समय जहां देखों वहां गर्मी से हाहाकार मचा हुआ है. सब लोगों सोच रहे हैं कि कब बारिश हो जाए? और मौसम में बदलाव आ जाए तो आइए आज इस तपती  दोपहरी और भीषण गर्मी के बीच शेरो- शायरी की श्रृंखला पशे करने जा रहे हैं. जो कि इस प्रकार है.


गर्मी लगी तो ख़ुद से अलग हो के सो गए, 
सर्दी लगी तो ख़ुद को दोबारा पहन लिया.
बेदिल हैदरी

दोपहर की धूप में मेरे बुलाने के लिए, 
वो तेरा कोठे पे नंगे पाँव आना याद है.
हसरत मोहानी

शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए, 
ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए. 
राहत इंदौरी

ये सुबह की सफ़ेदियाँ ये दोपहर की ज़र्दियाँ,
अब आईने में देखता हूँ मैं कहाँ चला गया. 
नासिर काज़मी

ये धूप तो हर रुख़ से परेशान करेगी,
क्यूँ ढूँड रहे हो किसी दीवार का साया. 
अतहर नफ़ीस

शदीद गर्मी में कैसे निकले वो फूल-चेहरा, 
सो अपने रस्ते में धूप दीवार हो रही है.
शकील जमाली

फिर वही लम्बी दो-पहरें हैं फिर वही दिल की हालत है, 
बाहर कितना सन्नाटा है अंदर कितनी वहशत है. 
ऐतबार साजिद

तो कुछ इस प्रकार आपके लिए गर्मी पर शेर और शायरी पेश है. इन्हें आप किसी महफिल में बोल कर लुफ्त उठा सकते हैं. इसके साथ ही शायरी लिखे जाने के बाद उनके नीचें शायरों के नाम भी दिए गए हैं.

First Updated : Friday, 07 June 2024