मनीष सिसोदिया ने जेल से लिखी चिट्ठी, कहा-'प्रधानमंत्री का कम पढ़ा लिखा होना बेहद खरनाक'
मनीष सिसोदिया ने जेल से देश की जनता को पत्र लिखकर कहा कि प्रधानमंत्री का कम पढ़ा लिखा होना बेहद खतरनाक है।
हाइलाइट
- मनीष सिसोदिया ने जेल से लिखा पत्र
- सीएम केजरीवाल ने किया पोस्ट
- पीएम का कम पढ़ा लिखा होना देश के लिए खरनाक-सिसोदिया
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जेल से देश की जनता को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिक्षा के महत्व को नहीं समझते हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्विटर पर सिसोदिया के पत्र को शेयर किया है। इस पत्र में सिसोदिया ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री कम पढ़े-लिखे हैं तो यह देश के लिए बहुत खतरनाक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री शिक्षा के महत्व को नहीं समझते हैं। बता दें कि दिल्ली आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया जेल में बंद है।
मनीष सिसोदिया ने पत्र में दावा किया है कि बीते कुछ वर्षों में देश में 60,000 स्कूलों को बंद कर दिया गया है। आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। दुनिया भर में विज्ञान और टेक्नॉलॉजी में हर रोज नई तरक्की हो रही है। पूरी दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की बात कर रही है। ऐसे में जब मैं प्रधानमंत्री को ये कहते हुए सुनता हूं कि गंदे नाले में वाईप डालकर उसकी गंदी गैस से चाय या खाना बनाया जा सकता है, तो मेरा दिल बैठ जाता है। सिसोदिया ने कहा कि "क्या नाली की गंदी गैस से चाय या खाना बनाया जा सकता है? नहीं! जब प्रधानमंत्री कहते हैं कि बादलों के पीछे उड़ते जहाज़ को रडार नहीं पकड़ सकता तो पूरी दुनिया के लोगों में वो हास्य के पात्र बनते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चे उनका मज़ाक बनाते हैं।"
अपने पत्र में मनीष सिसोदिया ने आगे कहा कि "पीएम के इस तरह के बयान देश के लिए बेहद खतरनाक हैं। इसके कई नुकसान होते है- जैसे पूरी दुनिया को पता चल जाता है कि भारत के प्रधानमंत्री कम पढ़े-लिखे हैं और उन्हें विज्ञान की बुनियादी जानकारी तक नहीं है। दूसरे देशों के राष्ट्र अध्यक्ष जब पीएम से मिलते हैं तो एक एक झप्पी की भारी कीमत लेकर चले जाते हैं। बदले में न जाने कितने दस्तावेजों पर हस्ताक्षर ले लेते हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री तो समझ ही नहीं पाते कि क्योंकि वो तो कम पढ़े-लिखे हैं।"
सिसोदिया ने कहा कि "देश का युवा आज एस्प्रिटेशनल है। वो कुछ करना चाहता है। वो अवसर की तलाश में है। वो दुनिया जीतना चाहता है। साइंस और टेक्नॉलॉजी के क्षेत्र में वो कमाल करना चाहता है। क्या एक कम पढ़ा-लिखा प्रधानमंत्री आज के युवा के सपनों को पूरा करने की क्षमता रखता है? हाल ही के वर्षों में देश भर में 60,000 सरकारी स्कूल बंद कर दिया गया है। क्यों? एक तरफ देश की आबादी बढ़ रही है। तो सरकारी स्कूलों की संख्या भी तो बढ़नी चाहिए थी?"
सिसोदिया ने कहा कि "अगर सरकारी स्कूलों का स्तर अच्छा कर दिया जाए तो लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल की बजाय सरकारी स्कूलों में भेजना शुरू कर देते, जैसा कि अब दिल्ली में हो रहा है। लेकिन देश भर में सरकारी स्कूलों का बंद होना खतरे की घंटी है। इससे पता चलता है कि शिक्षा सरकार की प्राथमिकता है ही नहीं? अगर हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं देंगे, तो क्या भारत तरक्की कर सकता है? कभी नहीं।"
सिसोदिया ने कहा कि "मैंने प्रधानमंत्री का एक वीडियो देखा था, जिसमें वह गर्व के साथ कह रहे हैं कि वो पढ़े-लिखे नहीं हैं। केवल गांव के स्कूल तक ही उनकी शिक्षा हुई। क्या अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा होना गर्व की बात है? जिस देश के प्रधानमंत्री को कम पढ़े-लिखे होने पर गर्व हो, उस देश में एक आम आदमी के बच्चे के लिए अच्छी शिक्षा का कभी इंतज़ाम नहीं किया जा सकता है।" सिसोदिया ने दावा किया कि "हाल के वर्षों में 50,000 सरकारी स्कूलों को बंद किया जाना इस बात का जीता जागता प्रमाण है। ऐसे में मेरा भारत कैसे तरक्की करेगा? आप अपनी छोटी सी कंपनी के लिए एक मैनेजर रखने के लिए भी एक पढ़े-लिखे व्यक्ति को ही ढूंढ़ते हैं। क्या देश के सबसे बड़े मैनेजर को पढ़ा लिखा नहीं होना चाहिए?"