शिवसेना के वरिष्ठ नेता और सासंद संजय राउत ने कहा कि NCP प्रमुख शरद पवार ने बयान से विपक्षी की एकजुटता में कोई दरार नहीं आएगी। आपको बता दें कि पवार ने पिछले दिनों कहा था कि अडाणी-हिडंनबर्ग विवाद की JPC जांच की मांग उचित नहीं है। उद्धव ठाकरे गुट के नता संजय राउत ने कहा कि 'शरद पवार ने कहा कि विपक्ष जेपीसी की मांग कर रहा है लेकिन इससे कुछ नहीं होगा क्योंकि जेपीसी का अध्यक्ष बीजेपी का होगा... अडानी को लेकर टीएमसी, एनसीपी की अपनी राय है लेकिन इससे विपक्षी एकता प्रभावित नहीं होगी।'
NCP प्रमुख शरद पवार ने हिंडनबर्ग की उस रिपोर्ट पर निशाना साधा था। अडानी को लेकर कई आरोप लगाए गए है। शरद पवार ने कहा था कि उस शख्स ने पहले भी ऐसे बयान दिए थे और तब भी सदन में कुछ दिन हंगामा हुआ था। लेकिन इस बार जरूरत से ज्यादा तवज्जों इस मुद्दे को दे दी गई है। वैसे भी जो रिपोर्ट आई। उसमें दिए बयान किसने दिए। उसका क्या बैकग्राउंड है जो वो लोग ऐसे मुद्दे उठाते है जिनमें देश में बवाल खड़ा हो। इसका असर हमारी अर्थव्यवस्था पर ही पड़ता है।
देश के सबसे वरिष्ठ राजनेताओं में से एक और NCP प्रमुख शरद पवार ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फेंस में उन्होंने शुक्रवार को एनडीटीवी पर प्रसारित हुए इंटरव्यू में अडानी को लेकर दिए गए बयान पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा मेरी पार्टी ने जेपीसी का समर्थन किया है लेकिन मुझे लगता है कि जेपीसी में सत्तारूढ़ पार्टी का वर्चस्व होगा इसलिए सच्चाई सामने नहीं आएगी...इसलिए मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाला पैनल सच्चाई सामने लाने का एक बेहतर तरीका है।
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि 'आजकल अम्बानी-अडानी के नाम लिए जा रहे हैं (सरकार की आलोचना करने के लिए) लेकिन हमें देश में उनके योगदान के बारे में सोचने की जरूरत है। मुझे लगता है कि बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि और किसानों के मुद्दे जैसे अन्य मुद्दे अधिक महत्वपूर्ण हैं। हमने सभी विपक्षी दलों की एक संयुक्त बैठक की और हमने वहां सभी मुद्दों पर चर्चा की. कुछ ऐसे मुद्दे थे जिन पर हम सहमत नहीं थे लेकिन सभी ने बैठक में अपने विचार रखे।
अडानी मुद्दे पर विपक्ष द्वार JPC की मांग पर NCP प्रमुख शरद पवार ने कहा कि 'JPC की मांग हमारे सभी साथियों ने की, ये बात सच है मगर हमें लगता है कि JPC में 21 में से 15 सदस्य सत्ताधारी पार्टी के होंगे। यहां ज्यादातर लोग सत्ताधारी पर्टी के हों वहां देश के सामने सच्चाई कहां तक आएगी। एक जमाना ऐसा था जब सत्ताधारी पार्टी की आलोचना करनी होती थी तो हम टाटा-बिड़ला का नाम लेते थे। टाटा का देश में योगदान है। आजकल अंबानी-अडानी का नाम लेते हैं, उनका देश में क्या योगदान है, इस बारे में सोचने की आवश्यकता है। First Updated : Saturday, 08 April 2023