पुंछ हमला : जहां एक दशक पहले आतंकवाद का हो गया था खात्मा, वहां सिर उठा रहे आतंकी

आतंकियों ने किया स्टिकी बम, ग्रेनेड और स्टील कोर गोलियों का इस्तेमाल, जवानों की रायफल भी ले गए आतंकी

Naveen Gupta
Edited By: Naveen Gupta

हाइलाइट

  • आतंकियों ने किया स्टिकी बम, ग्रेनेड और स्टील कोर गोलियों का इस्तेमाल, जवानों की रायफल भी ले गए आतंकी

जम्मू एवं कश्मीर के पुंछ सेक्टर में सेना के वाहन पर हमला में करीब 22 साल पहले पड़ोसी राजौरी जिले में एक पुलिस वाहन पर किए गए आतंकवादी हमले से काफी मिलता-जुलता है। इस हमले के बाद सुरक्षा अधिकारी गंभीर नजर आ रहे हैं। अधिकारियों की चिंता का सबसे गंभीर कारण ये है कि जहां ये हमला हुआ, उस क्षेत्र में एक दशक पहले आतंकवाद का पूरी तरह सफाया किया जा चुका है। नियंत्रण रेखा पर आतंकवादियों के लिए घुसपैठ की मुफीद जगह भाटा धुरियां में घात लगाकर किए गए इस हमले को पुंछ तथा राजौरी के सीमावती जिलों में आतंकवाद के फिर से सिर उठाने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। पुंछ हमले की जांच कर रहे सुरक्षा बल और खुफिया एजेंसी मान रही हैं कि एक जनवरी 2001 को राजौरी के गंभीर मुगलन गांव में पुलिस के एक वाहन पर हमला और पुंछ में आर्मी के वाहन पर हमले का तरीका एक जैसा ही है। 

22 साल पहले भी इसी तरह किया था हमला

22 साल पहले हुए हमले में विशेष अभियान समूह के 14 कर्मियों और दो स्वास्थ्य कर्मियों की मौत हो गयी थी। पुंछ में जिस जगह पर घात लगाकर हमला किया गया वह 2001 के गंभीर मुगलन हमले के स्थान से महज 23 किलोमीटर दूर है। आतंकवादियों ने दोनों ही घटनाओं में वाहनों को बहुत करीब से अंधाधुंध गोलीबारी के बाद विस्फोटकों या रसायनों के इस्तेमाल से आग लगा दी थी। इसके बाद, वे जवानों की राइफलें लेकर फरार हो गए थे।’’ उन्होंने कहा कि ताजा हमला सुरक्षा तंत्र के लिए चिंता की बात है क्योंकि पूरे इलाके को लगभग आतंकवाद मुक्त माना जाता था लेकिन हमलावरों ने जम्मू-राजौरी-पुंछ राष्ट्रीय राजमार्ग पर दिनदहाड़े हमला किया और फिर घने जंगल में भाग गए।

 

स्टील कोर गोलियों और स्टिकी बम का इस्तेमाल

 

पुंछ में सेना के एक ट्रक पर घात लगाकर हमला करने वाले आतंकवादियों ने बख्तरबंद ढाल को भेदने में सक्षम स्टील कोर गोलियों और स्टिकी बम का इस्तेमाल किया और सैनिकों के हथियार लेकर फरार हो गए। स्टील कोर गोलियां बख्तरबंद ढाल को भी भेद सकती हैं। हमले में सेना के ट्रक में आग लग गई थी।

सैन्य अधिकारियों ने बताया कि जांच के आधार पर माना जा रहा है कि एक आतंकी ने ट्रक को सामने से टारगेट पर लिया, जबकि अन्य आतंकियों ने दोनों तरफ से गोलियां दागी। गोलियों के साथ साथ ट्रक पर ग्रेनेड भी फेंके। हमले के वक्त आतंकी सेना का गोला बारूद और हथियार भी ले गए।

 

बहुत घातक हैं स्टील कोर बुलेट और स्टिकी बम

 

पुंछ हमले में इस्तेमाल की गईं बुलेट घातक तरह की स्टील बुलेट है। ये खास तरह की स्टील से बनी होती है। इसलिए इनके सामने बुलेट प्रूफ जैकेट भी नहीं ठहरती। इससे पहले आतंकियों ने 2016 ने पुलवामा में इस बुलेट का इस्तेमाल किया था। इस तरह की बुलेट पहले चीन से आ रही थी, लेकिन अब पाकिस्तान में स्टील बुलेट बन रही हैं। एक सामान्य रायफल या स्वचालित हथियारों में इस्तेमाल होने वाली बुलेट का अगला हिस्सा कॉपर का बना होता है। इस तरह की बुलेट कांच या बुलेटप्रूफ शीट को पार नहीं कर पाती, लेकिन स्टील कोर की बुलेट सात इंच मोटी स्टील की चादर और बुलेट प्रूफ जैकेट को भेदने में भी सक्षम होती है।

स्टिकी बम का उपयोग वाहन में चिपका कर रिमोट के जरिए किया जाता है। ये गोलाकार ग्लास फ्लास्क होता है, इसमें नाइट्रो ग्लिसरीन भरा होता है। फ्यूल टेंक पर चिपकाकर इसका उपयोग होता है। सस्ता और प्रभावी होने के कारण आतंकी घटनाओं में इसका उपयोग ज्यादा होता है।

 

घने जंगल में तो नहीं आतंकियों का ठिकाना

 

सुरक्षा बल घने जंगल में आतंकियों की तलाश के लिए ड्रोन और श्वान दस्तों की मदद ले रहे हैं, लेकिन अभी तक सफलता हाथ नहीं लगी है। अधिकारियों ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि आतंकवादी घने जंगल में सुरक्षित ठिकाने बनाने में कामयाब रहे हैं या पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में घुस गए होंगे। अधिकारियों के अनुसार, प्रारंभिक रिपोर्ट में संकेत मिला है कि हमले में भाड़े के विदेशी लड़ाकों सहित करीब पांच आतंकवादी शामिल थे। घात लगाकर हमला करने के बाद, आतंकवादियों ने संभवतः ग्रेनेड के साथ-साथ स्टिकी बम का इस्तेमाल किया जिससे वाहन में आग लग गई।

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25 April 2023, 05:33 PM IST

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