कौन था वो मुस्लिम शासक जिसने कटे हुए सिरों से खड़ी कर दी थी मीनार, दिल्ली में करवाया था कत्ल-ए-आम
Taimur Lang: दिसंबर 1398 में तैमूर ने दिल्ली पर हमला कर उसे विनाश की कगार पर पहुंचा दिया. समरकंद से 90,000 सैनिकों के साथ दिल्ली की ओर बढ़ते हुए तैमूर ने रास्ते में लूटपाट और कत्लेआम मचाया. इस हमले ने दिल्ली को लगभग 100 सालों तक पुनर्निर्माण की स्थिति में नहीं आने दिया.
Taimur Lang: दिल्ली पर कब्जा करने की पागलपन की हदें पार करने वाला मध्य एशियाई शासक तैमूर दिल्ली पर हमले के बाद कत्लेआम का मंजर छोड़ गया था. दिसंबर 1398 का वो काला दिन, जब दिल्ली की सड़कों पर लाशों के ढेर नजर आए और कटे हुए सिरों से बनी मीनारों ने तैमूर के क्रूरता की हद को दिखाया.
इतिहासकारों के अनुसार, तैमूर की इस दहशत से दिल्ली अगले सौ सालों तक उबर नहीं पाई. तैमूर के हमले ने दिल्ली को ऐसी तबाही में झोंक दिया था, जिसे भूख, लूटपाट और मौत ने एक भयावह सूरत में बदल दिया. आइए जानते हैं, कैसे तैमूर ने दिल्ली पर कब्जा किया और अपने इस घातक हमले को अंजाम दिया.
दिल्ली की फतह का सपना
1369 में समरकंद का बादशाह बनने वाले तैमूर का सपना था पूरी दुनिया को जीतना. भारत की समृद्धि की कहानियां तैमूर तक पहुंच चुकी थीं, और उसे दिल्ली की ओर बढ़ने का जुनून हो गया था. हालांकि, समरकंद से दिल्ली तक का 1000 मील लंबा सफर ठंड, बर्फ, रेगिस्तान और बंजर जमीन की कठिनाईयों से भरा था, लेकिन तैमूर ने 90,000 सैनिकों की सेना के साथ दिल्ली की ओर कूच किया.
रास्ते में लूट और कत्लेआम
समरकंद से दिल्ली तक के सफर में तैमूर की सेना ने हर जगह लूटपाट और कत्लेआम मचाया. वह सभी जरूरी सामान जुटाते हुए दिल्ली की ओर बढ़ रहा था. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तैमूर ने इस रास्ते में कई शहरों को लूटकर खंडहर बना दिया.
भारतीय हाथियों से तैमूर का खौफ
दिल्ली पर हमले से पहले तैमूर को भारतीय हाथियों से डर था. अपनी आत्मकथा ‘मुलफ़िज़त तिमूरी’ में उसने जिक्र किया है कि हाथियों के बारे में सुनी कहानियों ने उसे चिंता में डाल दिया था. उसे लगा कि हाथियों पर तीर और बरछी का असर नहीं होता.
दिल्ली की जंग में तैमूर की रणनीति
17 दिसंबर 1398 को सुल्तान महमूद और मल्लू खां की सेना तैमूर से लड़ने के लिए निकली. भारतीय हाथियों ने तैमूर की सेना में कोलाहल मचा दिया, लेकिन तैमूर ने सूखे घास और लकड़ी की आग लगाकर ऊंट पर हाथियों की ओर भेज दी. आग से डर कर हाथी अपने ही सैनिकों को कुचलने लगे और तैमूर की सेना भारतीय सैनिकों पर भारी पड़ने लगी.
दिल्ली में कत्लेआम
दिल्ली पर कब्जे के बाद तैमूर ने अपनी क्रूरता की सारी हदें पार कर दी. दिल्ली के लोग बचने के लिए पुरानी दिल्ली की मस्जिद में शरण लिए हुए थे लेकिन तैमूर ने वहां भी हमला कर दिया. 500 सैनिकों को भेज कर उसने सभी को मरवा डाला. कहा जाता है कि तैमूर ने कटे हुए सिरों से मीनार खड़ी कर दी थी. कत्लेआम का ये सिलसिला तीन दिनों तक लगातार चलता रहा.
दिल्ली में भूखमरी
दिल्ली में लगभग 15 दिनों तक रहने के बाद तैमूर की सेना ने शहर को लूटकर तबाह कर दिया. इस कदर बर्बादी के बाद भी जो लोग बचे वह भूख और गरीबी से अपना दम तोड़ने लगे. तैमूर की इस क्रूरता के बाद दिल्ली को फिर से अपने पैरों पर खड़ा होने में 100 साल से भी ज्यादा का वक्त लग गया.