निर्जला एकादशी पर निकली बाबा विश्वनाथ वार्षिक कलश यात्रा
निर्जला एकादशी पर शुक्रवार को परम्परानुसार श्री काशी विश्वनाथ वार्षिक कलश यात्रा गंगा तट से बाबा दरबार तक निकाली गई। कलश यात्रा का समापन श्री काशी विश्वनाथ दरबार के अभिषेक से हुआ।
निर्जला एकादशी पर शुक्रवार को परम्परानुसार श्री काशी विश्वनाथ वार्षिक कलश यात्रा गंगा तट से बाबा दरबार तक निकाली गई। कलश यात्रा का समापन श्री काशी विश्वनाथ दरबार के अभिषेक से हुआ। सुप्रभातम संस्था के बैनरतले राजेन्द्र प्रसाद घाट पर जुटे विभिन्न संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता, गणमान्य नागरिकों और महिलाओं ने आचार्य अमरकांत की अगुवाई में कलश पूजन के साथ गौरी-गणेश व गंगा पूजन किया। पूजा में 108 कलश लिए केदारघाट से भक्तों का जत्था भी शामिल हुआ।
इसके बाद 1008 कलशों में गंगा जल भर यात्रा प्रारम्भ हुई। कलश यात्रा के आगे बढ़ते ही पूरा क्षेत्र हर-हर महादेव के गगनभेदी उद्घोष, शंख ध्वनि, डमरुओं व अन्य वाद्य यंत्रों की थाप से गूंज उठा। कलश यात्रा में शामिल श्रद्धालु महिलाएं और पुरूष सिर पर कलश रख धर्म पताका लहराते बाबा दरबार की ओर बढ़ने लगे। मार्ग में युवाओं ने शंख ध्वनि तो 40 सदस्यीय डमरु दल ने डमरू का वादन कर माहौल आध्यात्मिक और शिवमय बना दिया। कलश यात्रा में हिम शिवलिंग, यात्रा के शिल्पकार स्व. राज किशोर गुप्ता का चित्र सहित मनमोहक झांकिया अलग छटा बिखेर रही थी। यात्रा दशाश्वमेध, गौदौलिया, बांसफाटक, ज्ञानवापी गेट नम्बर चार होते हुए श्री काशी विश्वनाथ दरबार तक पहुंची।
यहां राष्ट्र और समाज के कल्याण के लिए देवाधिदेव महादेव को गंगा-गोमती और प्रयाग संगम के जल के साथ पावन ज्योतिर्लिंग पर दूध अर्पित किया गया। बताते चलें कलश यात्रा में देश की सभी पवित्र नदियों और सागर के जल के साथ नेपाल की बागमती नदी और मारीशस के शिव सरोवर का जल भी बाबा को अर्पित किया गया है। यह परम्परा 24 वर्ष पहले वर्ष 1998 में शुरू की गई थी। कलश यात्रा में श्री काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति के अध्यक्ष पवन चौधरी, सुप्रभातम् के संरक्षक उमाशंकर अग्रवाल, केशव जालान, मुकुन्द लाल टन्डन, गोपाल गोयल, निधिदेव अग्रवाल आदि शामिल रहे।