भानु सप्तमी: जानिए किस दिन है भानु सप्तमी, सूर्य देव की पूजा से मिलेगा लाभ, धन संकट होगा दूर
फाल्गुन महीने में सूर्य पूजा का विशेष महत्व है। धर्म ग्रंथों के अनुसार फाल्गुन महीने में सूर्य देव को विष्णु रूप में पूजने से विशेष लाभ मिलता है। इस साल भानू सप्तमी की तिथि रविवार को पड़ रहा है। इस दिन भानु सप्तमी का भी योग बन रहा है।
फाल्गुन महीने में सूर्य पूजा का विशेष महत्व है। धर्म ग्रंथों के अनुसार फाल्गुन महीने में सूर्य देव को विष्णु रूप में पूजने से विशेष लाभ मिलता है। इस साल भानू सप्तमी की तिथि रविवार को पड़ रहा है। इस दिन भानु सप्तमी का भी योग बन रहा है।
आपको बता दें ऐसा योग बार-बार नहीं बनता है। कई वर्षें के बाद फाल्गुन माह में भानु सप्तमी का योग बनेगा। इस बार यह शुभ योग 26 फरवरी दिन रविवार को पड़ रहा है। शास्त्रों में माना गया है कि इस दिन सूर्य देव को वीधि विधान से पूजा करने से विशेष लाफ मिलता है। आइए जानते है कैसे सूर्य देव की पुजा करनी चाहिए।
उगते सूरज को दें अर्घ्य
दें पूजा विधि: प्रात काल सूर्योदय से पहले स्नान आदि करके स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद तांबे के लोटे में गंगाजल भरकर उसमें लाला चंदन, लाल फूल, अक्षत और कुछ गेहू के दाने को तांबे के पात्र में रखें और ऊं घृणि सूर्याय नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए उगते हुए सूरज को इस लोटे के जल से अघर्य दें। उसके बाद सुर्यदेव को नमस्कार करते हुए गायत्री मंत्र का जाप करें और मुमकिन हो तो आदित्य हृदय स्तोत्र का भी पाठ करें, और सूर्य देव के 12 नामों का जाप भी कर सकते है।
व्रत नियम
सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद उनके सामने बैठकर बिना नमक के व्रत करने का संकल्प लें। अगर संभव हो तो व्रती को पुरे दिन तांबे के बर्तन में पानी पीना चाहिए। व्रत के दौरान पूरे दिन में सिर्फ एक बार फलहार करें और नमक का इस्तेमाल बिलकुल न करें। सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद अपनी श्रद्धानुसार अनुसार गरीबों को भोजन कराए और वस्त्र या कोई भी उपयोग में आने वाली वस्तु को दान करें। हिंदू धर्गाम में गाय को माता माना जाता है। इसलिए इस दिन गाय को को चारा खिलाएं और पक्षियों को भी खाना देना चाहिए।
दूर होंगी बीमारियां
माना जाता है कि जो भी जातक भानु सप्तमी पर सूर्य को अर्घ्य देता है। उसकी बुद्धि का विकास होता है। और उसे मानसिक शांति भी मिलती है। ऐसा करने से व्यक्ती की सारी परेशानी दूर हो जाती है। और जो भी व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यह व्रत का पालन करता उससे माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती है। और सारे संकटो को दूर करती है।