Chaitra Navratri 2023 day 6 : मां कात्यायनी की पूजा से हो जाते हैं सभी दु:ख दूर, जानिए कैसे करें मां को प्रसन्न

Navratri 2023 Day 6 Puja: आज देशभर में नवरात्र का छठा दिन बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जा रहा है। साथ ही इस दिन माता कात्यायानी की पूजा की जाती है।शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति माता के छठे रुप की उपासना करता है। उनके जीवन में अनेक प्रकार की आने वाली समस्याएं दूर रहती हैं।

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Navratri 2023 Day 6 Puja: आज देशभर में नवरात्र का छठा दिन बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जा रहा है। साथ ही इस दिन माता कात्यायानी की पूजा की जाती है।शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति माता के छठे रुप की उपासना करता है। उनके जीवन में अनेक प्रकार की आने वाली समस्याएं दूर रहती हैं।

कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति माँ कात्यायनी की भक्ति करता है। उसे अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की जीवन में प्राप्ति होती है ।मान्यता है कि वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है।कई समय पुरानी कथाओं में कहा गया है कि मां कात्यायनी के घर में जन्म लेने से इनका नाम कात्यायनी रखा गया था।

माता कात्यायनी की पूजा वैवाहिक जीवन के लिए भी करनी शुभ मानी जाती है । ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति माता के छठे रुप की पूजा करता है। उसके वैवाहिक जीवन में खुशियां प्रवेश करती हैं।अगर कुंडली में विवाह के योग क्षीण हों तो भी विवाह किया जा सकता है।आइए जानते है कि मां की पूजा किस तरह से करनी चाहिए?

ऐसे करें मां कात्यायनी की पूजा

जो भी व्यक्ति नवरात्र के दिनों में पूजा करते हैं उन्हें सबसे पहले स्नान के बाद कलश की पूजा करनी चाहिए, पूजा के समय मां का स्मरण करें साथ ही फूल लेकर हाथ में संकल्प लें। और वही फूल मरणों में रखें।it

उसके बाद मां कात्यायनी की पूजा करें और इसके बाद माता को सोलह श्रृंगार अर्पित करना न भूलें। माता कात्यायनी का प्रिय भोग शहद अर्पित करें साथ ही मां की पूजा के दौरान आरती और मां दुर्गा चालीसा व उनके मंत्रों का जाप जरुर करें।

मां का स्वरुप

शास्त्रों के अनुसार माता का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला होता है और उनकी चार भुजाएं हैं। प्रत्येक भुजा में माता ने तलवार, कमल, अभय मुद्रा और वर मुद्रा धारण किया है। कहा जात है कि माता कात्यायनी को लाल रंग सर्वाधिक पसंद है।

मान्यताओं के अनुसार महर्षि कात्यायन की तपस्या के बाद माता कात्यायनी ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था। कहा जाता है कि मां ने अपने इसी रुप से राक्षस महिषासुर का वध किया था।

 

Disclaimer: यहां पर मौजूद जानकारी के लिए Thejbt.com किसी भी प्रकार की मान्यता और जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को प्रयोग में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। First Updated : Monday, 27 March 2023