चैत्र नवरात्र : अष्टमी और नवमी के दिन इस तरह करें कन्या पूजन, ध्यान में रखे ये खास बातें
चैत्र नवरात्र में अष्टमी और नवमी तिथि में कन्या पूजन किया जाता है। ये मां की पूजा के पारण का प्रतीक है। इस दौरान आपको कुछ खास बातों का ख्याल ऱखना चाहिए।
चैत्र नवरात्र चल रहे हैं और अष्टमी और नवमी का दिन कन्या पूजन के लिए होता है. कई लोग अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं और अधिकतर जगह नवमी को कन्याओं की पूजा की जाती है। इस कन्या पूजन के बाद ही नौ दिन का उपवास करने वाले श्रद्धालू अपने व्रत का पारण करते हैं। इस बार अष्टमी 29 मार्च को पड़ रही है और महानवमी की पूजा 30 मार्च को होगी। कन्या पूजन में नौ कन्याओं को घर पर आमंत्रित किया जाता है और उनकी पूजा के बाद उनको भोजन कराया जाता है और उपहार आदि देकर विदा किया जाता है। अगर आप भी अष्टमी या नवमी के दिन अपने घर में कन्या पूजन की तैयारी कर रहे हैं तो आपको कुछ खास बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए वरना अनजाने में हुई गलती से आपकी पूजा विफल हो सकती है। चलिए जानते हैं कि अष्टमी औऱ नवमी के दिन कन्या पूजन कैसे किया जाए और इस दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
कैसे करें मां दुर्गा की पूजा और कन्या पूजन
कन्या पूजन के दिन घर में माता रानी के दरबार को सजाएं और विधिवत रूप से उनका श्रंगार करें. इसके बाद अपने घर में हलवा, पूरी और चने का बोग तैयार करें। इसके पश्चात माता रानी की विधिवत पूजा करें और उनको ये भोग और नेवैद्य अर्पित करे। इसके साथ ही उनको नारियल चढ़ाएं। इसके बाद मां दुर्गा की आरती करें और फिर इसके पश्चात अपने घर में मां के नौ स्वरूपों के रूप में नौ कन्याओं को आमंत्रित करें। कन्याओं के साथ साथ एक बालक को भी घर पर बुलाएं। इस बालक को लांगुर और बटुक कहते हैं जो भैरव और हनुमान जी का प्रतीक माना जाता है। घर में आई कन्याओं के पैर धुलवाएं और फिर उनको आसन पर बिठाएं। इसके पश्चात उनको रोली से तिलक करें और हाथ में रक्षा सूत्र यानी कलावा बांधें। अब कन्याओें भोग लगाएं। आमतौर पर कन्या पूजन में बच्चियों को हलवा पूरी और चने का प्रसाद खिलाया जाता है। आप चाहें तो सब्जी और मिठाई आदि भी बच्चियो को खिला सकते हैं, ये आपकी श्रद्धा के ऊपर निर्भर करता है। भोजन करने के बाद कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें औऱ उनको यथासंभव उपहार या पैसे देकर विदा करें। इसके पश्चात ही व्रती को अपने व्रत का पारण करना चाहिए।
कन्या पूजन में ध्यान रखें ये बातें -
आपको 2 से दस साल की उम्र की कन्याओं को निमंत्रित करना चाहिए। इनकी संख्या नौ होनी चाहिए औऱ साथ में एक बालक भी होना चाहिए। हालांकि आजकल लोग दस साल से ऊपर की उम्र की बच्चियों को भी घर बुलाकर भोजन करवाते हैं, ये पुण्य का काम है।
कन्याओं को घर में बुलाने के बाद उनके पैर जरूर धोएं, इससे मां खुद अपने चरण आपके घर में स्थापित करेंगी।
घर आई कन्याओं को डांटना या अपशब्द कहना वर्जित है। इससे आपकी नौ दिन की पूजा व्यर्थ चली जाएगी।
कन्याओं को पूरा भोजन करने के लिए जबरन दबाव ना डालें, ना ही उनके साथ जबरदस्ती करें, वो जितना खा सकती है, उतना ही खाने दें।
घर आई कन्याओं को रोली से तिलक जरूर करें,इसके साथ ही उनको आसन पर जरूर बिठाएं।
कन्याओं को भोजन कराने से पहले घर के किसी भी सदस्य को भोजन जूठा नहीं करना चाहिए, इससे पूजा औऱ कन्या पूजन विफल हो जाता है।
मां दुर्गा के भोग और कन्याओं के लिए बनाया भोजन बिना लहसुन प्याज का हो और वो बिलकुल सात्विक माहौल में बना हो।
अगर बुलाने पर नौ से ज्यादा कन्या आ गई हैं तो भी उनको प्रेम पूर्वक भोजन करवाएं और उपहार आदि देकर विदा करें।
कन्याओं को भोजन करवाने के बाद उन्हें विदा करने की जल्दी ना करें, वो भोजन कर रही हैं तो प्यार से करवाएं।