Ganesh Chaturthi Special 2022: इन नियमों से करें गणपति स्थापना, बढ़ेगा सौभाग्य,सुख और समृद्धि
आज पूरे देश में गणेश चतुर्थी धूम-धाम से मनाई जाएगी आज के दिन बप्पा अपने भक्तों के घर आएंगे।
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi): आज पूरे देश में गणेश चतुर्थी धूम-धाम से मनाई जाएगी आज के दिन बप्पा अपने भक्तों के घर आएंगे। गणपति बप्पा के सभी भक्त इस दिन गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करने की सोच रहे हैं या सोच रहे होंगे, लेकिन गणपति की प्रतिमा स्थापना के लिए वास्तु के कुछ नियम हैं। इनका ध्यान रखने पर ही विघ्नहर्ता की कृपा प्राप्त होगी और आपका रूठा भाग्य आपके अनुकूल होगा। प्रथम पूज्य गणेश जी की प्रतिमा उचित स्थान और दिशा में रखने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वाराणसी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट बता रहे हैं गणपति स्थापना (Ganpati Sthapna) में ध्यान देने वाली बातें।
सही दिशा में मूर्ति स्थापित करें -
गणेश जी की मूर्ति स्थापना के लिए वास्तु शास्त्र (Vaastu) के अनुसार घर का उत्तर पूर्व कोना सबसे शुभ माना जाता है, इसलिए गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना घर के ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा में करनी चाहिए। दक्षिण दिशा में भूलकर भी गजानन की मूर्ति नहीं स्थापित करनी चाहिए। भगवान को पूर्व या पश्चिम की ओर स्थापित करने की कोशिश कर सकते हैं, यहां तक की पूजा का कमरा भी दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए।
गणेश जी का पीठ न दिखे -
भगवान गणेश की पीठ के पीछे दरिद्रता का वास होता है, इसलिए लंबोदर की मूर्ति की स्थापना इस प्रकार करनी चाहिए कि उनकी पीठ घर के किसी कमरे की ओर न हो। इसका ध्यान रखना चाहिए कि गणेश जी की मूर्ति की पीठ घर के बाहर की ओर हो और वहां कोई कमरा भी न हो, उनकी पीठ को कोई न देखे।
मूर्ति स्थापना के समय रखें शुद्धता ध्यान -
गणेश जी की मूर्ति स्थापना के लिए शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कभी भी भगवान गणेश को उस दीवार से सटाकर स्थापित न करें, जो टॉयलेट की दीवार से जुड़ी हो, तथा आसपास कूड़ा कचरा भी न हो।
गणेश जी की मूर्ति का चयन -
घर में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना कर रहे हैं तो प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्ति की बजाय धातु, गोबर या मिट्टी की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए, वो भी बैठे हुए मुद्रा में। यदि मूर्ति चांदी की हो तो उत्तर पूर्व या दक्षिण पश्चिम दिशा में स्थापित करनी चाहिए।
गणपति बप्पा का सूंड -
गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना के दौरान उनकी सूंड की दिशा का ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए। अगर गणेश जी की प्रतिमा के साथ मां गौरी की भी मूर्ति है तो सूंड बाईं तरफ होनी चाहिए क्योंकि यहां गणपति का मां के प्रति प्यार दिखाता है। वहीं अकेली मूर्ति स्थापित कर रहे हैं तो सूड़ दायीं तरफ होनी चाहिए, हालांकि दाएं सूंड वाले गणेश जी हठी होते हैं। उनकी पूजा में सभी नियमों और विधि-विधान का पालन करना जरूरी होता है। ऐसे में बाएं सूंड वाले गणेश जी की पूजा करना श्रेष्ठ है क्योंकि सभी लोग पूजा के सभी नियमों का पालन नहीं कर सकते हैं।
भूलकर भी यहां न रखें गणेश मूर्ति - यदि आप डुप्लेक्स या बंगले में रहते हैं तो कभी भी सीढ़ियों के नीचे भगवान की मूर्ति न रखें क्योंकि इससे लोग ऊपर-नीचे आते जाते रहते हैं, यह देवता का अपमान है। वास्तु के हिसाब से ऐसा करने से घर में दुर्भाग्य आता है। इन बातों का ध्यान रखना भी है जरूरी गणेशजी की प्रतिमा की स्थापना के लिए इन बातों का भी ध्यान रखें कि गणेश जी की प्रतिमा अधिक बड़ी न हो, मूर्ति में उनकी सवारी मूसक और भोग लड्डू जरूर हो।
गणपति बप्पा आपके दुखों को दूर करें और जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करें।
गणपति बप्पा मोरया 🙏🏻🙏🏻