Gangaur puja 2023: जाने गणगौर पूजा क्यों मनाई जाती है? जाने धार्मिक महत्व और शुभ मुहूर्त
Gangaur 2023: हिंदू धर्म में त्योंहारों की कोई कमी नहीं हैं। हर दिन कोई न कोई त्योंहार मनाया ही जाता है। आज हम आपको राजस्थान और गुजरात का महत्वपूर्ण पर्व गणगौर पर्व के धार्मिक महत्व के बारे में बताने जा रहें है। क्यों गणगौर पर्व राजस्थान और गुजरात में धूम-धाम से मनाई जाती है तो आइए जानते है।
Gangaur 2023: हिंदू धर्म में त्योंहारों की कोई कमी नहीं हैं। हर दिन कोई न कोई त्योंहार मनाया ही जाता है। आज हम आपको राजस्थान और गुजरात का महत्वपूर्ण पर्व गणगौर पर्व के धार्मिक महत्व के बारे में बताने जा रहें है। क्यों गणगौर पर्व राजस्थान और गुजरात में धूम-धाम से मनाई जाती है तो आइए जानते है।
हिंदू पंचांग के मुताबिक गणगौर पूजा फाल्गुन माह की पूर्णिमा यानी होली के दिन से प्रारंभ होता है जो की अगले 17 दिनों तक चलता है। इस पर्व में माता पार्वती और भगवान शिव की विशेष पूज- अर्चना तरने की विधान है। गणगौर पूजा के दौरान सुहागन महिलाए और कुवारी कन्यांए अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती है।
क्यों और कहां मनाई जाती है गणगौर पर्व
हमारे देश में हिंदू धर्म की सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करवा चौथ, हरतालिका तीज जैसे कई कठीन व्रत रखती हैं। ऐसे ही एक त्योहारों में से एक गणगौर की पूजा भी है। जो विशेष कर राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात सहित न्य प्रदेशों में भी मनाई जाती है। गणगौर पूजा के दौरान सिर्फ सुहागिन महिलाएं ही नहीं बल्की कुवांरी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए व्रत रखती है। गणगौर पूजा करने के लिए महिलाएं माता पार्वती और भगवान शिव की मिट्टी से मुर्ति तैयार करती है। उसके बाद दुर्वा और फूल भगवान को अर्पित करती है।
17 दिन चलता है ये पर्व
गणगौर पूजा फाल्गुन मास की पूर्णिमा यानी होलिका दहन के साथ पर्व की शुरुआत हो जाती है, जो की चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार 17 दिनों तक चलता है।
गणगौर पूजा की तिथी और शूभ मुहूर्त
तिथि- 2023 में गणगौर पूजा 24 मार्च दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी।
शूभ मुहूर्त- चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतिया तिथि 23 मार्च को शाम 6 बजकर 20 मिनट पर प्रारंभ होगा।
गणगौर धार्मिक विशेषता
गणगौर व्रत का धार्मिक तौर पर विशेष महत्व है। गणगौर पर्व को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ के लिए करती है। वही कुंवारी कन्याएं भी इस पर्व को धूमधाम से मनाती है। कुंवारी कन्याएं इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती से मनचाहा पति की कामना करती है। लेकिन इस त्योंहार की दिलचस्प बात यह है कि इस व्रत के बारे में महिलाए अपने पति को नहीं बताती है और न ही प्रसाद खाने के लिए देती है। यह एक गुप्त पूजा की तरह है।