Holika Dahan 2023: कब है होलिका दहन? जानिए इसकी सही तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा करने का सही तरीका
होलिका दहन को फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस होलिका दहन को भगवान विष्णु जी के परम भक्त प्रहलाद की याद में मनाया जाता है। इस दिन पर होलिका जलाई जाती है और पूरे रीती - रिवाज के साथ इसकी पूजा - अर्चना की जाती है। रंगों का यह पवित्र त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के काल में बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता था
होलिका दहन को फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस होलिका दहन को भगवान विष्णु जी के परम भक्त प्रहलाद की याद में मनाया जाता है। इस दिन पर होलिका जलाई जाती है और पूरे रीती - रिवाज के साथ इसकी पूजा - अर्चना की जाती है। रंगों का यह पवित्र त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के काल में बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता था। यह तो आपको मालूम ही होगा की होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसा मानना है की होलिका दहन के साथ - साथ संसार की सभी नकारात्मक शक्तियों अंत होता है। आइये जानते हैं एक साल कब है होलिका दहन और इससे जुडी कुछ खास बातें।
कब है होलिका दहन?
होलिका दहन जिसे हम सभी छोटी होली के रूप में मनाते हैं। वह हर फरवरी के अंत में या फिर मार्च महीने में आती है। वैसे ही इस वर्ष भी होलिका दहन यानी छोटी होली 7 मार्च 2023, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी और 8 मार्च 2023 को बड़ी होली मनाई जाएगी। इस दिन यानी 7 मार्च 2023 पर होलिका को बड़ी होली के एक दिन पूर्व संध्या पर जलाया जाता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत की ख़ुशी में मनाई जाती है।
क्या है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त?
7 मार्च 2023, मंगलवार को मनाई जाने वाली छोटी होली जिसको होलिका दहन कहा जाता है। इसका इस वर्ष 2023 में शुभ मुहूर्त 2 घंटे और 27 मिनट तक का रहने वाला है। यानी आप 7 मार्च 2023 को होलिका दहन शाम के 6:24 बजे से रात के 8:51 बजे तक कर सकते हैं। होलिका दहन के लिए अतियंत शुभ माना गया है।
फाल्गुन पूर्णिमा प्रारंभ व समाप्ति
आपको बता दें, की फाल्गुन पूर्णिमा तिथि के अनुसार इसकी शुरुआत 6 मार्च 2023 को दोपहर 04:17 PM बजे से होगी, और इस फाल्गुन पूर्णिमा की समाप्ति 07 मार्च 2023 शाम 06:09 PM बजे तक रहेगी। पूजा विधि की सामग्री होलिका की पूजा करने के लिए सबसे जरूरी होता है, पूजा करने के लिए सही सामग्री। उसके लिए हमें चाहिए -
1. एक लोटा जल
2 गाय माता के गोबर की माला
3 अक्षत
4 गंध
5 फूल
6 कच्चा सूत
7 थोड़ा सा गुड़
8 थोड़ी साबुत हल्दी
9 गेंहू के बाल
10 मूंग
11 नारियल
12 बताशे और
13 गुलाल
पूजा करने का सही तरीका जानें
पूजा करने से पहले सही विधि का ध्यान रखना अति आवश्यक होता है, जिस जगह पर होलिका की सभी लकड़ियां इकठ्ठा की जाती हैं उस जगह पर जाकर सबसे पहले इस दिन पूजा की जाती है। इसके बाद होलिका की लकड़ियों को सफेद धागे या फिर कच्चे सूत की मदद से उसके चरों ओर तीन या फिर सात बार अच्छी तरह से लपेटे। उसके बाद उसपर गंगाजल वाला पानी अर्पित करें फिर कुमकुम का तिलक लगाकर फूलों को अर्पित करें। यह पूजा सुबह के समय स्नान करने के बाद की जाती है। जब तक यह पूजा नहीं होती आप भोजन नहीं कर सकते हैं, पूजा करने के बाद आप भोजन ग्रहण कर सकते हैं।
होलिका पूजा करने का महत्व
ऐसा माना जाता है यदि आप यह पूजा पूरे श्रद्धा भाव करें तो सभी के घरों में सुख - समृद्धि और धन आगमन होता है। यह पूजा भगवान विष्णु के सर्वश्रेष्ठ परम भक्त की याद में मनाया जाता है। इसे करने से हमारे डर पर विजय प्राप्त करने का आशीर्वाद मिलता है।
होलिका दहन में इन लकड़ियों का न करें इस्तेमाल
होलिका दहन के दौरान पीपल , आम , नीम , बरगद , शमी , आवंला , केला अथवा बेल की लकड़ियों का इस्तेमाल कभी न करें, क्योंकि हिन्दू धर्म के अनुसार यह लकड़ियां अतियंत पवित्र मानी जाती हैं और इनकी पूजा की जाती है जिसमें यह यज्ञ व अनुष्ठानों जैसे शुभ कार्य में काम आती हैं।