ॐलोक आश्रम: 75 साल में देश ने कितनी प्रगति की है? भाग-2

दुनिया में स्वतंत्रता का बहुत बड़ा मूल्य है। जिन देशों में तानाशाही व्यवस्था होती है। थोड़े समय में तो वो बहुत प्रगति कर जाते है लेकिन बाद में उनकी स्थिति ऐसी होती है कि वहां से व्यापारी वर्ग भाग जाता है।

Saurabh Dwivedi
Saurabh Dwivedi

ॐलोक आश्रम: दुनिया में स्वतंत्रता का बहुत बड़ा मूल्य है। जिन देशों में तानाशाही व्यवस्था होती है। थोड़े समय में तो वो बहुत प्रगति कर जाते है लेकिन बाद में उनकी स्थिति ऐसी होती है कि वहां से व्यापारी वर्ग भाग जाता है। वहां की व्यवस्थाएं चरमरा जाती हैं। सारी चीजें बेपटरी हो जाती हैं।  जो लोकतांत्रिक देश हैं वो धीरे-धीरे प्रगति करते हैं लेकिन उनकी प्रगति लंबी होती है। ज्यादा दूर तक जाने वाली होती है। सरकार और जनता के बीच हमें जो एक काम करना है। वह एक काम हमें करना है कि हमें तन-मन से ईमानदार होना है। जनता को भी ईमानदार बनना है और नेताओं को भी ईमानदार बनना है। जब हम ईमानदारी से अपना काम करेंगे। भारत के अंदर से भ्रष्टाचार को हटा दिया जाए।

भारत के अंदर जो सिस्टम्स काम कर रहे हैं उन सिस्टम्स में काम करने वाले व्यापारी के लिए काम करने वाले मजदूर के लिए जो रुकावट हैं उन रुकावटों को हटा दिया जाए तो आज ही भारत नंबर वन बन जाएगा। विडंबना है इस देश की कि जो कानून गरीबों की सहायता के लिए, गरीबों को सबल बनाने के लिए लाए गए थे वो कानून उस गरीब को ही सबसे बड़ी समस्या पैदा कर रहे हैं। अंततोगत्वा वह गरीब उन कानूनों की वजह से ही गरीब होता चला जा रहा है। अगर आप न्यूनतम मजदूरी का एक कानून ला दिया लेकिन न्यूनतम मजदूरी है ही नहीं, नौकरी ही नहीं है तो व्यक्ति उस न्यूनतम मजदूरी कानून का क्या करेगा। क्योंकि जो कानून बने उसने व्यापारियों को नुकसान पहुंचाया। व्यापारी यह देश छोड़कर चीन चले गए। जो यहां के मजदूरों को मिलना चाहिए वह चीन के मजदूरों को मिल रहा है। व्यवस्थाओं में सुधार की जरूरत है और इस सुधार को सरकार ही कर सकती है। ये सुधार आम आदमी के वश का नहीं है।

आम आदमी आवाज ही उठा सकता है। विचार करने की पूरे देश को आवश्यकता है। आज हम 75वीं सालगिरह पर हैं। जो हमने अच्छे काम किए हैं इन 75 सालों में उन्हें हम आगे बढ़ाएं जो हमारे अंदर कमियां रहीं हैं हम उन कमियों को देखें, उनकी सूची बनाएं और सभी मिलकर, सारे राजनीतिक दल मिलकर, सारे सामाजिक लोग मिलकर, सारे आध्यात्मिक लोग मिलकर, सारे देश की जनता मिलकर ये विचार करे कि किस तरह से हमें इस देश को आगे लेकर जाना है। कैसे हमें समतामूलक समाज बनाना है। जहां अमीर और गरीब के बीच बहुत अंतर न हो। जहां कोई व्यक्ति किसी को अच्छे कपड़े पहना हुए देखकर ये न सोचे कि काश मुझे भी ये कपड़े मिल जाएं। कोई व्यक्ति किसी अच्छे खाना खाते हुए व्यक्ति को देखकर ये न सोचे कि मैं भी पेटभर खाना खा पाऊं।

ये हमारे देश का आदर्श होना चाहिए। हर व्यक्ति को कम से कम कपड़ा, खाना और रहना ये सम्मानपूर्वक मिल जाए। इसके लिए व्यक्ति को किसी दूसरे का मुंह न ताकना पड़े। न किसी को एनजीओ का मुंह ताकना पड़े न किसी को सरकार का मुंह ताकना पड़े। व्यवस्था ऐसी हो कि हर व्यक्ति को ये चीज अपने आप मिल जाए। ईश्वर ने इस देश को इतनी सहूलियतें दी हैं। इतनी प्राकृतिक शक्तियां दी हैं, संसाधन दिए हैं कि यह काम बड़ी आसानी से किया जाता है। इस देश की जनता को आवश्यकता है कि अपने अंदर से भ्रष्टाचार रूपी मल को निकालने की। समाज से भ्रष्टाचार रूपी मल अगर थोड़ी ही मात्रा में निकाल दिया जाए। हम ईमानदारी को प्रोत्साहित करने लगें, उसकी प्रशंसा करने लगें। जीवन  में आगे बढ़ने लगें तो नि:संदेह जिस विकास की हम संकल्पना कर रहे हैं उस विकास को हम पा लेंगे।

हमें अगर जीवन में आगे बढ़ना है। समाज में आगे बढ़ना है। देश को आगे बढ़ाना है तो सोच सकारात्मक होनी चाहिए। जब समाज के मूल्य ऐसे हो जाते हैं कि जब व्यक्ति दूसरे को नुकसान पहुंचाना चाहने लगता है। कई धार्मिक मूल्य ऐसे हैं जो धर्म के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव करते हैं। जाति के आधार पर लोग बंट जाते हैं। ऐसी सोच हमें अपने जीवन के निचले स्तर पर ले जाती है। अगर हमें आगे बढ़ना है तो इन वृत्तियों से हमें छुटकारा पाना होगा। जो हमारे ऋषियों ने वसुधेव कुटुंबकम का स्वप्न देखा था, जो यह स्वप्न था कि समाज का हर व्यक्ति आगे आए। अपनी नकारात्मक विचारधारा को पीछे छोड़ दे और सकारात्मकता को लेकर आगे आए। हम समाज में रहते हैं। हर व्यक्ति में कुछ अच्छाई है और कुछ बुराई भी है।

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29 November 2022, 04:18 PM IST

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