ॐलोक आश्रम: 75 साल में देश ने कितनी प्रगति की है? भाग-3
अगर हर व्यक्ति दूसरे की बुराई देखने लगे तो एक नकारात्मक समाज बन जाएगा। लड़ाई-झगड़े, मार-पीट, दंगे-फसाद चालू हो जाएंगे। अगर वही सारे व्यक्ति एक-दूसरे की अच्छाईयां देखने लगें तो वही समाज स्वर्ग बन जाएगा।
ॐलोक आश्रम: अगर हर व्यक्ति दूसरे की बुराई देखने लगे तो एक नकारात्मक समाज बन जाएगा। लड़ाई-झगड़े, मार-पीट, दंगे-फसाद चालू हो जाएंगे। अगर वही सारे व्यक्ति एक-दूसरे की अच्छाईयां देखने लगें तो वही समाज स्वर्ग बन जाएगा। लोग भी वही हैं, संसाधन भी वही है बस सोच का फर्क है। अगर आपने अपनी सोच सकारात्मक कर ली तो यही समाज आपको स्वर्ग दिखने लगेगा यही देश आपको स्वर्ग दिखने लगेगा। स्वर्ग बन जाएगा। कहते हैं न कि जो जैसा सोचता है वह वैसा ही करता है जो जैसा करता है वो वैसा बन जाता है। सोच यह निर्धारित करती है कि हम कैसे बनेंगे। सोच कार्य की पूर्वगामी है। सबसे पहले विचार है जैसे विचार आपके पास आएंगे वैसे ही आप कर्म प्रवृत्त होगे और जैसे ही आप कर्म करोगे वैसे आपको फल मिलेंगे। आप अगर अच्छे विचार, सकारात्मक विचार रखोगे तो नि:संदेह आप उन्नति करते जाओगे।
प्रगति का पैरामीटर यही है कि देश ऊपर हो लेकिन उसमें रहने वाले हर व्यक्ति को अच्छा रहने को मिल जाए, अच्छा खाने को मिल जाए, अच्छा पहनने को मिल जाए, अच्छी शिक्षा मिल जाए, अच्छा स्वास्थ्य मिल जाए तो हम कह सकते हैं कि हां देश ने प्रगति की। देश के विकास का मतलब कुछ व्यक्तियों का विकास नहीं है। देश के विकास का मतलब देश का केवल सैन्य विकास नहीं है। देश के विकास का मतलब देश की मुद्रा का विकास नहीं है। देश के विकास का मतलब है कि देश के अंदर हर गरीब व्यक्ति इस स्थिति में हो कि वह एक सम्मान पूर्वक जीवन व्यतीत कर सके। विकास का, प्रगति का पैरामीटर यही माना जाएगा।
हमने अभी वह मानसिकता नहीं पाई है कि जब हम सार्वजनिक संपत्ति को अपनी व्यक्तिगत संपत्ति की तरह व्यवहार करें। हम यह सोचें कि जो यह रेल है यह हमारे ही टैक्स के पैसे से और हमारे लिए ही चल रही है। जो सार्वजनिक कोई भी चीज लगी हुई है वह हम सबके पैसे से लगी हुई है। अगर हम उसको नुकसान पहुंचाएंगे तो हमारा ही नुकसान है। बीते कुछ सालों में बहुत कुछ परिवर्तन आया है। कुछ सरकारों ने भी इसपर काफी कड़ाई से एक्शन लिया है। यह देश हमारा है। यह समाज हमारा है। इसको हमें मिलकर बनाना है। यह भाव जनता को लाना पड़ेगा। सरकार नियमित रूप से प्रयत्न कर रही है। लेकिन जनता भी हाथ से हाथ मिलाकर, कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करेगी तो उसके दस गुना ज्यादा होंगे।
विजन का साफ होना, स्पष्ट होना प्रगति के लिए बहुत ही आवश्यक है। अगर आपका जीवन सही दिशा में जा रहा है तभी हम उसको प्रगति करना कहेंगे अगर वो गलत दिशा में जा रहा है तो वह प्रगति नहीं हुई वह अवनति हो गई। व्यक्ति इस संसार में आया है। अगर धर्म ने उसे ये सीखा दिया कि वह इस संसार में क्यों आया है। इसी जीवन का क्या उद्देश्य है। जिस समय तक वह इस संसार में रहेगा वह अपने लिए क्या करेगा। समाज के लिए क्या करेगा, धर्म के लिए क्या करेगा, राष्ट्र के लिए क्या करेगा तो धर्म सार्थक है। धर्म प्रगति का एक बहुत बड़ा अंग है, इसकी बड़ी उपादेयता है। हम देख रहे हैं कि बहुत सारे धार्मिक व्यक्ति हैं वो केवल प्रवचन सुना दिए। कुछ लोगों को लगा कि वो अपने घर में कुछ पूजा-पाठ कर लिए और धर्म का काम खत्म हो गया। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। धर्म व्यक्ति के व्यक्तित्व का आंतरिक अंग होता है और व्यक्ति के कार्यों में धर्म का प्रभाव दिखाई देता है। कोई व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में कैसा निर्णय लेगा, यह उसके धर्म से बहुत ज्यादा प्रभावित होता है। उसकी सोच को बनाने वाला धर्म होता है। धर्म का भी बड़ा महत्वपूर्ण रोल है देश के विकास में कि देश का किस तरह से विकास हो, समाज का किस तरह से विकास हो। व्यक्ति की सकारात्मक सोच बनाने के लिए धर्माचार्यों का सभी लोगों का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान है। जितनी हमारी सकारात्मक सोच रहेगी राष्ट्र को लेकर, धर्म को लेकर, समाज को लेकर देश उतना ही प्रगति कर पाएगा।