हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत ही धार्मिक महत्व है। साल की 24 (अधिकमास के चलते चलते कभी 25 एकादशियां भी आती हैं) एकादशियों को साल की सर्वश्रेष्ठ तिथियां कहा गया है और इन एकादशियों पर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा के साथ साथ भगवान विष्णु के लिए एकादशी व्रत भी रखा जाता है। हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। कामदा एकादशी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में आती है और इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना के साथ ही व्रत और दान पुण्य का भी विधान है। शास्त्रों में मान्यता है कि एकादशी के व्रत में भगवान श्री हरि की पूजा और व्रत से जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है, पूजा करने वाले व्यक्ति द्वारा अनजाने में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
एक अप्रैल को है कामदा एकादशी का व्रत, लग रहा है मानस योग
इस बार कामदा एकादशी को लेकर भ्रम हो रहा है कि व्रत व्रत 1 अप्रैल को रखा जाएगा या फिर दो अप्रैल को। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल चैत्र शुक्ल की एकादशी तिथि 1 अप्रैल 2023 को सुबह 01 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 02 अप्रैल 2023 को प्रात 04 बजकर 19 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। चूंकि एकादशी की तिथि का सूर्य उदय 1 अप्रैल को हो रहा है और हिंदू धर्म में तिथि का महात्य उगते सूर्य से माना जाता है, इस लिहाज से देखा जाए तो कामदा एकादशी का व्रत 1 अप्रैल को रखा जाएगा और 2 अप्रैल को एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा। शुभ योग की बात करें तो 1 अप्रैल को पूरे दिन आश्लेषा नक्षत्र रहेगा। इस नक्षत्र में मानस योग बन रहा है जिसे काफी शुभ योग कहा जाता है।
कामदा एकादशी की पूजा विधि
कामदा एकादशी के दिन अगर व्रत कर रहे हैं तो व्रत के नियम एक दिन पहले यानी दशमी के दिन से ही शुरू हो जाते हैं। दशमी की रात को सात्विक भोजन करें और जमीन पर सोएं। एकादशी के दिन सुबह उठकर नहाधोकर सारे घर में गंगाजल छिड़क कर घर को पवित्र करें। इसके बाद भगवान विष्णु की चौकी लगाएं और भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद भगवान विष्णु को फूलमाला चढ़ाएं, चंदन रोली का तिलक करें और तुलसी दल अर्पित केरं। इसके बाद भगवान विष्णु को पान सुपारी, लौंग इलाइची और मिठाई आदि अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें और इसके बाद मां लक्ष्मी की भी आरती करें। इसके पश्चात भगवान विष्णु के लिए इन मंत्रों का जाप करें। ये एकादशी और कामदा एकादशी के मंत्र हैं जिनमें भगवान की महिमा कही गई है।
कामदा एकादशी के दिन दोपहर के वक्त कामदा एकादशी की व्रत कथा को जरूर सुनना चाहिए। इसे सुनने से समस्त पाप धुल जाते हैं। ये कथा भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को सुनाई थी। इस कथा के अनसार एक बार की बात है. एक राज्य में राजा पुंडरीक राज्य करते थे. वो बड़े ही दानी और पूजा पाठ करने वाले थे। एक बार अनजाने में राजा के हाथों किसी ब्राह्मण हत्या हो गई. इसके चलते राजा पर ब्रह्म हत्या का पाप लगा और श्राप के चलते राजा पुंडरीक मनुष्य से राक्षस बन गए। तब उनकी पत्नी ने अपने पति को अनजाने में हुए इस पाप और श्राप से बचाने के लिए कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की और उनके लिए व्रत किया। एकादशी के दिन राजा की पत्नी पूरे दिन निराहार रही और अगले दिन उसने विधिवत तौर पर व्रत का पारण किया। इससे प्रसन्न होकर राजा की पत्नी को दर्शन दिए और कहा कि वो मनोकामना मांग लें। तब राजा की पत्नी ने कहा कि उनके एकादशी व्रत का फल उसके पति को दिया जाए ताकि वो फिर से मनुष्य बन सके। इस पर प्रसन्न होकर भगवान श्रीहरि ने राजा को उनकी पत्नी के एकादशी व्रत के फल दिए और राजा राक्षस से फिर से मनुष्य बन गए और हंसी खुशी पत्नी के साथ रहने लगे।