जानिए भक्त प्रहलाद के बारे में कुछ रोचक जानकारियां
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि कुंड में बैठ गई थी, लेकिन होलिका अग्नि में भस्म हो गई और भक्त प्रहलाद बच गए थे। जीवन के अंत में भक्त प्रहलाद ने मोक्ष प्राप्त करके वैकुंठ में निवास किया।
होली का त्योहार लोग बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाते हैं साथ ही इस दिन सभी लोगों के घर में अनेक प्रकार की मिठाई व अनेक प्रकार के पकवान बनाएं जाते हैं।होली का त्योहार तो सभी लोग मनाते हैं क्या कभी आपने सोचा है कि यह त्योहार क्यो मनाया जाता है? आखिर इस त्योहार को मनाने का क्या तत्पर्य है। कई लोगों का मानना है कि होलिका दहन का त्योहार भक्त प्रहलाद की कथा से जुड़ा हुआ है।
हिरण्यकश्यप की बहन होलिका भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि कुंड में बैठ गई थी, लेकिन होलिका अग्नि में भस्म हो गई और भक्त प्रहलाद बच गए थे। जीवन के अंत में भक्त प्रहलाद ने मोक्ष प्राप्त करके वैकुंठ में निवास किया। आइए जानते हैं कि भक्त प्रहलाद की कुछ कथाएं।
क्या था पिता का नाम?
भक्त प्रहलाद के पिता का नाम हिरण्यकश्यप और दादा का नाम कश्येप ऋषि और दादी का नाम दिति था। उनकी माता का नाम कयाधु था।
क्यों बने भक्त?
प्रहलाद की माता को पूजा-पाठ में काफी रुची थी साथ ही वह बचपन से श्री हरि विष्णु की भक्त थीं। कयाधु भक्त प्रहलाद की मां ने अपने पति हिरण्यकश्यप से होशियारी से विष्णु का 108 बार जाप किया था जिसके चलते उन्होनें भक्त प्रहलाद को जन्म दिया।जो बड़े होकर भगवान विष्णु के भक्त बने।
कैसे हुई होलिका की मृत्यु?
कहा जाता है कि भक्त प्रहलाद को श्रीहरि विष्णु का भक्त होने के कारण उनेक पिता हिरण्यकश्यप उनका वध करना चाहते थे साथ ही वह हर रोज नई-नई योजनाएं बनाया करते थे जिसके कारण भक्त प्रहलाद की मृत्यु हो जाएं, लेकिन भक्त प्रहलाद श्रीहरि विष्णु की भक्ति में इतने मौन रहते थे कि उनके ऊपर सदैव भगवान हरी की कृपा रहती थी।
लाख कोशिशों के बाद भी वह प्रहलाद को न मार सके। भक्त प्रहलाद को भगवान विष्णु का वरदान प्राप्त था जिसके चलते प्रहलाद को उनकी बुआ ने गोदी में लेकर जलती आग में बैठने के लिए कहा, वरदान प्राप्त होने के कारण भक्त प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ साथ ही उनकी बुआ होलिका जल कर मर गई ।