इस बार महाशिवरात्रि पर धारण कीजिए रुद्राक्ष, इस तरह पहनेंगे तो मिलेगा भोलेनाथ का आशीर्वाद
इस बार महाशिवरात्रि पर रुद्राक्ष धारण करने पर बाबा शिव की कृपा बरसेगी. रूद्राक्ष को शिव भगवान का अंश कहा जाता है. इसे धारण करने की विधि और इसे धारण करने के नियम जानना बहुत जरूरी है।
18 फरवरी को महाशिवरात्रि का त्योहार पूरे देश भर में श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाएगा। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर और मां पार्वती का विवाह हुआ था, ये भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव 12 ज्योतिर्लिंगों के जरिए प्रकट हुए थे। इसलिए इस पर्व को महादेव के पर्व के रूप में पूरी भावना के साथ मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन विधिवित रूप से भोलेशंकर की पूजा का विधान है और इस दिन रुद्राक्ष धारण करना भी बहुत शुभ माना जाता है। कहते है कि रुद्राक्ष भगवान शिव का ही अंश है और इसे धारण करने पर शिव की कृपा मिलती है। इसलिए इस बार महाशिवरात्रि पर अगर आप रुद्राक्ष धारण कर रहे हैं तो आपको इसके नियमों की पूरी जानकारी होनी चाहिए।
चलिए जानते हैं कि रुद्राक्ष किस तरह धारण करना चाहिए और इसे धारण करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
रुद्राक्ष पहनने के नियम -
रुद्राक्ष को खास दिनों में ही धारण करने की सलाह दी जाती है। महाशिवरात्रि, शुक्ल पक्ष के सोमवार या फिर सावन माह में रुद्राक्ष धारण करना काफी शुभ कहा जाता है। इसे काले रंग में कभी भी धारण नहीं करना चाहिए। रुद्राक्ष को लाल या पीले रंग के धागे में ही पहनना चाहिए। रुद्राक्ष को गर्दन और हाथ में धारण करना चाहिए। हाथ में पहनने पर इसके 12 दाने, गले में माला पहनने पर 108 या पिर 36 दानों वाली माला पहनना शुभ माना जाता है। रुद्राक्ष के बारे में कहा गया है कि इसे ना तो उपहार में लेना चाहिए और ना ही उपहार में देना चाहिए। अपने पैसे से रुद्राक्ष खरीदकर पहनना शुभ होता है। रुद्राक्ष को श्मसान घाट, प्रसूति महिला के कक्ष में औऱ नवजात शिशू के कक्ष में ले जाने से बचना चाहिए। रुद्राक्ष धारण करने के बाद मांसाहार, मदिरा या अन्य तरह के धूम्रपान नहीं करने चाहिए। इसे पहन कर अपशब्द बोलने वाला, झूठ बोलने वाला, अत्याचारी, पापी व्यक्ति दंड पाता है। इसलिए इसे साफ और सच्चे ह्रदय से ही धारण करना चाहिए। रुद्राक्ष को साफ करने के लिए दूध और गंगाजल का प्रयोग करना चाहिए।
कैसे धारण करें रुद्राक्ष -
रुद्राक्ष को धारण करने से पहले सात दिन तक सरसों के तेल में भिगोकर रखें। महाशिवरात्रि के दिन सुबह नहा धोकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करें शिव का पंचाभिषेक करें। इसके बाद सरसों के तेल से निकाल कर रुद्राक्ष को गंगा जल से साफ करें और फिर रुद्राक्ष को पंचगव्य यानी दूध, घी, गन्ने के रस, दही, शहद आदि से स्नान करवाएं। इसके बाद शिव मंत्र 'ऊँ नम: शिवाय' का जाप करते हुए रुद्राक्ष को शिवलिंग से स्पर्श करवाकर उत्तर की ओर मुंह करते हुए इसे धारण करें।